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my name is karanweer raj from bhagalpur bihar
हकीकत यह है कि मैं पहले पत्थरों में पहाड़ हूं मेरा कोई वजूद नहीं बस मैं एक आधार हूं सभी ने समझा कि मैं अब टूट सा गया हूं हकीकत तो यह था कि मैं कुछ दिनों से बीमार हूं बचपन बीती मेरी मां के आंचल तले बड़ा होकर साहब मैं बहन का कहार हूं सपने थे मेरे बड़े-बड़े उन्हें हकीकत करना चाहता था घर के नजरों में हालातो को देखकर अब जिम्मेदार हूं घर की मजबूरियों ने अब चकनाचूर कर दिया है गरीबी की घाव को कुरेद कर नासूर कर दिया है समाज के तानों से पता चला कि मैं घाटों में रहने वाला व्यापार हूं जिंदगी जब बेहतर बने तो बहुत लोग मिलने आए करवटें बदली वक्त ने इस कदर अब जाए भी तो कहां जाए अब पता चला कि इस बेरहम समाज में मैं एक इकलौता समझदार हूं।। ©KARANWEER RAJ
KARANWEER RAJ
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Saturday, 21 September | 01:33 am
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