Jai shree ram अयोध्या-अविचल, ये विश्व सकल, सब कर जोड़ प्रणाम हो जायेंगे,
धरती की महिमा, अंबर का आडंबर सब सविनय राम हो जायेंगे,
मंत्री-संत्री, सत्ता - विपक्ष सब आम हो जायेंगे,
आज पंक्षी - पर्वत, धरती - अंबर सब राम हो जायेंगे,
मूलाधार के छटा के तले सारे दुःख विश्राम हो जायेंगे,
मेरे रोम रोम से निकले सारे शब्द, सब राम हो जायेंगे,
रघुवर की अनुकंपा से सारे मनोरथ चारों धाम हो जायेंगे,
जीवन के हर एक पल में जब जुबां 'राम- राम' हो जायेंगे,
आँसू के मोती, जीवन की ज्योति सब उनके नाम हो जायेंगे,
पैरों का धूल होगा चंदन, जब समक्ष प्रभु श्रीराम हो जायेंगे!!
सियावर रामचंद्र की जय!!
२२.१.२०२४
©Shashank Gaurav
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