English
उगते सूरज को देखता हूँ तो नज़र गढ़ जाती है उसके बाद खुद से उम्मीद और बढ़ जाती है मन करता है आसमान छू लूं पर हालातों की हथकड़ी हाथों में अकड़ जाती है ये कैसी बेल है ख्वाहिशों की जो कभी रुकती नहीं हैं थोड़ा खाद पानी मिलते ही उचाईयों को चढ़ जाती है लोग कहते हैं के इतना दौड़ भाग क्यों करते हो सुकून से रहा करो मुझे सुकून कमाने के लिए इतना सब करने की ज़रूरत पड़ जाती है आराम तो कर लूँ पर इन आँखों को कैसे समझाऊँ एक गलती से बंद हो जाए तो दूसरी पहले वाली से लड़ जाती है किसीके लिए रुकना , इंतज़ार करना अब हो नहीं पाता मुझसे वो रेल हो गया हूँ जो एक प्लेटफार्म पे दो मिनट होते ही आगे बढ़ जाती है...... ©Dr Ziddi Sharma
Dr Ziddi Sharma
10 Love
वो पुरानी साईकल से शुरू हुआ सफर बड़ी गाड़ियों तक पहुंच चुका है पर वो अब भी चप्पलें डाल कहीं भी पैदल चल लेते हैं वो मानते क्यों नहीं गरीबी जा चुकी है अब भी वो अपने कपड़े नहीं बदलते हम चार पैसे आने के बाद अपनी फितरत बदल लेते हैं कहीं बाहर जाने से पहले जेब मे जबरन पैसे डालते हैं मैं कमा रहा हूँ ना पिताजी बोलूं तो आंखें निकालते हैं छाती चौड़ी तो होती है पर जताते नहीं हैं खुद की ज़रूरतें किसी को बताते नहीं हैं स्वाभिमान उनके लिए सबसे बड़ा है चिंता पहुंच नहीं पाती परिवार में जब तक पिता खड़ा है ©Dr Ziddi Sharma
17 Love
वो सेकंड हैंड साईकल से शुरू हुआ सफर बड़ी गाड़ियों तक पहुंच चुका है पर वो अब भी चप्पलें डाल कहीं भी पैदल चल लेते हैं वो मानते क्यों नहीं गरीबी जा चुकी है अब भी वो अपने कपड़े नहीं बदलते हम चार पैसे आने के बाद अपनी फितरत बदल लेते हैं कहीं बाहर जाने से पहले जेब मे जबरन पैसे डालते हैं मैं कमा रहा हूँ ना पिताजी बोलूं तो आंखें निकालते हैं छाती चौड़ी तो होती है पर जताते नहीं हैं खुद की ज़रूरतें किसी को बताते नहीं हैं स्वाभिमान उनके लिए सबसे बड़ा है चिंता पहुंचने नहीं देता परिवार में जब तक पिता खड़ा है ©Dr Ziddi Sharma
9 Love
नहीं कहना किसीसे किसी बात को बन्द होठों में समा लेना अपने जज़्बात को अपनी उम्मीद चाहत सपने आँसू दर्द किसी को दिखने ना देना मैं समझ गया पिताजी की सीख उस रात को लड़ना अकेले खुशी मिलकर बांटना छोटी सी हार पे भी खुद को अकेले में ज़रूर डांटना सहारा ढूंढना नहीं किसी का बन जाना कहीं गलत हो तो वहीं तन जाना खुद पे खर्च थोड़ा कम करना मत सुनना ज़माने की बात को मैं समझ गया पिताजी की सीख उस रात को दुनिया प्यार तुमसे नहीं तुम्हारी जीत से करेगी सिर्फ तुमसे ही नहीं तुम्हारी हर चीज़ से करेगी हारना विकल्प है ही नहीं तुम्हें सिर्फ आगे बढ़ना है जो काम भले कोई नही कर पाए वो तुम्हें करना है खोजते मत रह जाना राह में किसी हमसफर के हाथ को मैं समझ गया पिताजी की सीख उस रात को ©Dr Ziddi Sharma
आंखें भीग जाती हैं जी भर के उसे देख नहीं पाता कान थकते नहीं है उसकी आवाज़ सुनने से खुद को रोक नहीं पाता वो मोबाइल से छिपा लेते हैं हर डीपी पे उन्हें जिनसे लगता है मेरी बहुत पुरानी जान पहचान है उन होठों को अब मैं देख नहीं पाता ©Dr Ziddi Sharma
11 Love
150 View
You are not a Member of Nojoto with email
or already have account Login Here
Will restore all stories present before deactivation. It may take sometime to restore your stories.
Continue with Social Accounts
Download App
Stories | Poetry | Experiences | Opinion
कहानियाँ | कविताएँ | अनुभव | राय
Continue with
Download the Nojoto Appto write & record your stories!
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here