Alone तू भी एक दौर था जो गुज़र गया,
चलते चलते राहों में न जाने तू कहा बिछड गया|
कभी हर वक़्त मेरी बातों में मेरे ख्यालों में, मेरी यादों में सिर्फ तू ही तू था,
अब तो तेरे बिन साँस लेना भी बेवजह हो गया||
चौंक जाता हु आज भी कभी कभी किसी आहट पे
लगता है जैसे तू यही कही है,
हाँ पर सच तो यही है की तू अब कही नहीं है|
दिन जो बिताये तेरे साथ में रातें जो काटि तेरी याद में
तुझसे एक पल की भी दूरी मुझे तड़पा जाती थी
खिल उठता था में, जब फिर लौट कर तू मेरे पास आती थी.
तुझसे मिले तो अब लगता है कि बरसो बीत गए
पर मैं आज भी खड़ा हू तेरे ही इंतज़ार में
तू वो दर्द है जिसे अब तलक मैंने सीने में दबाये रखा था
पर आज न जाने क्यों वो मेरी आँखों से आँशु बनके छलक गया
तू भी एक दौर था जो गुज़र गया||
©Shekhar dwivedi
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