Zindgi Guljaar Hai

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कभी मुस्कुराना अच्छा लगता था अब हंसना भी अच्छा नहीं लगता कभी सब अच्छा लगता था और अब कुछ भी अच्छा नहीं लगता ©Zindgi Guljaar Hai

#ज़िन्दगी #Eyes  कभी मुस्कुराना अच्छा लगता था
अब हंसना भी अच्छा नहीं लगता
कभी सब अच्छा लगता था
और अब कुछ भी अच्छा नहीं लगता

©Zindgi Guljaar Hai

#Eyes

9 Love

मंजिल ना मिले तो रास्ते बदल लेने चाहिए क्योंकि दरख़्त भी पत्तियों को तबदील करते है जड़ों को नहीं उखाड़ा जाता इंसान को अपने खयालात बदल लेने चाहिए क्योंकि रिस्तो को नहीं तोड़ा जाता ©Zindgi Guljaar Hai

 मंजिल ना मिले तो रास्ते बदल लेने चाहिए
क्योंकि दरख़्त भी पत्तियों को तबदील करते है
जड़ों को नहीं उखाड़ा जाता
इंसान को अपने खयालात बदल लेने चाहिए
क्योंकि रिस्तो को नहीं तोड़ा जाता

©Zindgi Guljaar Hai

मंजिल ना मिले तो रास्ते बदल लेने चाहिए क्योंकि दरख़्त भी पत्तियों को तबदील करते है जड़ों को नहीं उखाड़ा जाता इंसान को अपने खयालात बदल लेने चाहिए क्योंकि रिस्तो को नहीं तोड़ा जाता ©Zindgi Guljaar Hai

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साथ जिसने दिया कतरा भी साथ मेरा रही जिंदगी तो समुंदर भी लोटाऊंगी अहसान फरामोश कहा गया है मुझे मैंने जो कहा वो करके भी दिखाऊंगी ©Zindgi Guljaar Hai

#साथ  साथ जिसने दिया कतरा भी साथ मेरा
रही जिंदगी तो समुंदर भी लोटाऊंगी
अहसान फरामोश कहा गया है मुझे
मैंने जो कहा वो करके भी दिखाऊंगी

©Zindgi Guljaar Hai

#साथ

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मखलूके ए ख़ाक ने ताना दिया मुझे जैसी थी नहीं वैसा बना दिया मुझे नजरों से कदमों में गिरा दिया मुझे मुहब्बत करने वालो ने या रब नफ़रत के काबिल बना दिया मुझे ©Zindgi Guljaar Hai

 मखलूके ए ख़ाक ने ताना दिया मुझे
जैसी थी नहीं वैसा बना दिया मुझे
नजरों से कदमों में गिरा दिया मुझे
मुहब्बत करने वालो ने या रब
नफ़रत के काबिल बना दिया मुझे

©Zindgi Guljaar Hai

मखलूके ए ख़ाक ने ताना दिया मुझे जैसी थी नहीं वैसा बना दिया मुझे नजरों से कदमों में गिरा दिया मुझे मुहब्बत करने वालो ने या रब नफ़रत के काबिल बना दिया मुझे ©Zindgi Guljaar Hai

9 Love

या रब ख़ाक ने ख़ाक कर दिया मुझे कफियत ए कर्ब से तू वाकिफ हे मेरे मैं किया थी और कैसा कर दिया मुझे या रब ख़ाक ने ख़ाक कर दिया मुझे ©Zindgi Guljaar Hai

 या रब ख़ाक ने ख़ाक कर दिया मुझे
कफियत ए कर्ब से तू वाकिफ हे मेरे
मैं किया थी और  कैसा कर दिया मुझे
या रब ख़ाक ने ख़ाक कर दिया मुझे

©Zindgi Guljaar Hai

या रब ख़ाक ने ख़ाक कर दिया मुझे कफियत ए कर्ब से तू वाकिफ हे मेरे मैं किया थी और कैसा कर दिया मुझे या रब ख़ाक ने ख़ाक कर दिया मुझे ©Zindgi Guljaar Hai

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इज़्जत और शोहरत जब रब देता है इंसान किया ख़ाक सर झुकाएगा मेरा तुझे जो करना है तू कर ऐ आदमजाद रब हर आंसू का बदला लौटाएगा मेरा ©Zindgi Guljaar Hai

 इज़्जत और शोहरत जब रब देता है
इंसान किया ख़ाक सर झुकाएगा मेरा
तुझे जो करना है तू कर ऐ आदमजाद
रब हर आंसू का बदला लौटाएगा मेरा

©Zindgi Guljaar Hai

इज़्जत और शोहरत जब रब देता है इंसान किया ख़ाक सर झुकाएगा मेरा तुझे जो करना है तू कर ऐ आदमजाद रब हर आंसू का बदला लौटाएगा मेरा ©Zindgi Guljaar Hai

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