#girl उसके आरोपों से अब मेरा मन भर गया था,
इसबार वो शख्स अपनी हद से गुज़र गया था॥
जरा सी खामोशी को मेरा गुनाह समझ बैठा।
तोड़ दिया रिश्ता मैंने शायद वो शक्श बदल गया था!
बात तो सिर्फ मामूली नाराजगी से शुरू हुई थी।
और वो मगरुर बात न करने पर आ गया था॥
#poetry
#friends .*कामयाबी*
वक्त की जरूरतों ने हमें अपने ही आशियाने से बिछड़ने पर मजबूर कर दिया।
जिसके सुनहरे आंचल में सुकून पलता था उसी मां की ममता से दूर कर दिया॥
तारीफें मिली पर सुकून नहीं, कमाई शोहरत ने पराए शहर में भी मशहूर कर दिया।
आ गया तो घर लौटा ही नहीं जरा सी कामयाबी ने हमें दौलत के नशे में चूर कर दिया॥
*संघर्ष*
घर से निकले तो दर दर भटके इक आशियाने को खोजने पर मजबूर कर दिया।
नवरात्र सोलह श्रृंगार किए मां लगती कितनी प्यारी है॥
एक हाथ धनुष, दूजे बाण लिए मां करती सिंह सवारी है॥
कभी गुफाओं में जा बसती, तो कभी दुष्टो पर पड़ती भारी है॥
एक हाथ में चक्र, दूजे तलवार लिए मां मेरी पहाड़ों वाली है॥
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