कुछ कऱोड तुमसे हमें बातें करनी है,
बार बार हमसे यूँ रूठ ना जाया करो;
माना वादे ज़ुबाँ ने नहीं आँखों ने किये थे,
हम निभा रहे हैं तो तुम भी तो निभाया करो।
मुझे देखकर कहते हैं, अच्छी दिखती हो,
कविता पढ़कर कहते हैं, अच्छा लिखती हो;
दिल बाग़ बाग़ हो गया जब उन्होंने ये कहा,
पहले मुझे भेज दिया करो, तुम जो भी लिखती हो।
जीवन कविता में वक़्त ने एक नई पंक्ति जोडी,
आई खुशियाँ झूमकर, भले देर लग गई थोड़ी;
जिसे खोने का डर होता था मुझे पल पल,
उसने ही तो रंग दी, जो मेरी प्रित कथा थी कोरी।
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