Danish khan

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वो दौर जिसमें थे मौजूद बानी-ए-गुलशन ये आरज़ू है कि वो दौर-ए-इब्तिदाई दे ©Danish khan

#sirsayyedday  वो दौर जिसमें थे मौजूद बानी-ए-गुलशन
ये आरज़ू है कि वो दौर-ए-इब्तिदाई दे

©Danish khan
#happyindependenceday

ईलाही चश्म को मेरे यूँ रोशनाई दे मुझे चमन का हर एक ज़र्रा तक दिखाई दे मैं एक बुलबुल-ए-दिलगीर की तरह चहकूँ ज़माने भर को मेरी नगमगी सुनाई दे ज़बान-ए-अहल-चमन इश्क़ इश्क़ हो या ! रब ईलाही ! सबको यहाँ ज़र्फ़-ए-ख़ुश-अदाई दे ये वो तड़प है के जिसमे सुकून है दिल का चमन के इश्क़ में तड़पूं वो आशनाई दे वो दौर जिसमें थे मौजूद बानी-ए-गुलशन ये आरज़ू है कि वो दौर-ए-इब्तिदाई दे ©Danish khan

#sirsayyed #myindia #mypride #myamu  ईलाही चश्म को मेरे यूँ रोशनाई दे
मुझे चमन का हर एक ज़र्रा तक दिखाई दे

मैं एक बुलबुल-ए-दिलगीर की तरह चहकूँ
ज़माने भर को मेरी नगमगी सुनाई दे

ज़बान-ए-अहल-चमन इश्क़ इश्क़ हो या ! रब 
ईलाही ! सबको यहाँ ज़र्फ़-ए-ख़ुश-अदाई दे

ये वो तड़प है के जिसमे सुकून है दिल का
चमन के इश्क़ में तड़पूं वो आशनाई दे

वो दौर जिसमें थे मौजूद बानी-ए-गुलशन
ये आरज़ू है कि वो दौर-ए-इब्तिदाई दे

©Danish khan

हज़ार बार उन्हें देखते रहो फ़िर भी हज़ार बार उन्हें देखने को जी चाहे ©Danish khan

#OneSeason  हज़ार बार उन्हें देखते रहो फ़िर भी
हज़ार बार उन्हें देखने को जी चाहे

©Danish khan

#OneSeason

11 Love

#WorldEnvironmentDay इक जान के संग कितने हो जाँ लेता है ज़ाहिल एक प्यारा सा नन्हा सा शज़र* तोड़ने वाला ©Danish khan

#WorldEnvironmentDay #GhazalShayari  #WorldEnvironmentDay इक जान के संग कितने हो जाँ लेता है ज़ाहिल
एक प्यारा सा नन्हा सा शज़र* तोड़ने वाला

©Danish khan

*शज़र-Tree #GhazalShayari #WorldEnvironmentDay

7 Love

यक़ीनन हम भी इंसाँ हैं हमारा ज़ुल्म तो बोलो हमारी बात तो सुनलो तुम्हारे अपने ही हैं हम ज़रा सा ग़ौर से सोचो कोई भी शख़्श आता है हमें गाली सुनाता है गरेबां खींच लेता है हमें आँखें दिखाता है किसी के हम अज़ीज़ाँ* हैं यक़ीनन हम भी इंसाँ हैं ©Danish khan

#stopattackingondoctors #covidindia  यक़ीनन हम भी इंसाँ हैं

हमारा ज़ुल्म तो बोलो
हमारी बात तो सुनलो
तुम्हारे अपने ही हैं हम
ज़रा सा ग़ौर से सोचो

कोई भी शख़्श आता है
हमें गाली सुनाता है
गरेबां खींच लेता है 
हमें आँखें दिखाता है
किसी के हम अज़ीज़ाँ* हैं

यक़ीनन हम भी इंसाँ हैं

©Danish khan
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