#AzaadKalakaar आश्चर्य होता मुझे देखकर रोजाना है
क्या ये वही आजादी,जो सबको पाना है
बेटी नही है safe यहाँ पे,उल्टा दोष लगाते है
अपनी छोटी सोच को,धर्म के नाम छुपाते है
राजनीति को चमकाने में,तुमने सबको बाँट दिया
हिन्दू-मुश्लीम, सिख-इशाई सबको तुमने छाँट दिया
गर्व करू भारतीय हैं या इसका शोक जताए हम
कमी है हम में भारतीयता की,राजनीति को लड़ जाए हम
क्या ये वही आजादी,जो "भगत" ने चाही थी
जिसके लिए लड़े और जान गवाई थी
जिस आजाद देश मे आज भी स्त्री नही आजाद कुप्रथाओं से
आजाद नही हैं स्त्री,उन बहसी निगाहों से
खुद को देशभक्त कहते है,झूठे सारे होते है
दारू-मुर्गा में जो भविष्य देश का बेचते हैं
आश्चर्य होता मुझे देख कर ये कैसी आज़ादी है
विश्गुरु बनना है हमे पर समझे स्त्री को दासी है
©kunwar Amar thakur
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