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बज़्म-ए-सुख़न रगों में आज भी ये ख़ून सा रवाँ है क्या... वो दर्द-ए-इश्क़ हक़ीक़त में जावेदाँ है क्या....
RJ ATHAR
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कह दो इन हसरतों से कहीं और जा बसें.... इतनी जगह कहां हैं दिल-ए-दाग़दार में......... ©RJ ATHAR
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दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार के..... वो जा रहा है कोई शब-ए-ग़म गुज़ार के...... ©RJ ATHAR
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अपनी क़िस्मत को ख़ुद ही चमकाना पड़ेगा...... कमनसीबों के लिए सितारे नही टूटा करते......... ©RJ ATHAR
teri Sharatein bhi teri hi tarah bahut masoom si hain... ©RJ ATHAR
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