परेशान, परेशान है तू लहुलुहान,
सोच, सोच के गया थक ना निकला कोई समाधान,
लहुलुहान, लहुलुहान फिर भी है खुश कि कर्म करते हुआ लहुलुहान,
समाधान, समाधान खुद बा खुद निकलेगा तेरे समक्ष समाधान,
बस,करते जा कर्म तू सुबह - शाम।
अड़चनें, अड़चने करती भयभीत सरेआम,
अफवाहें ही अफवाहें गूँजे कि करले जितना भी कर्म रहेगा तू गुमनाम,
सरेआम,सरेआम तेरा कर्म करेगा सबको भयभीत सरेआम,
गुमनाम,गुमनाम कहते खुद ही होंगे एक दिन वो बदनाम,
बस,करते जा कर्म तू निरंतर सुबह-शाम |
आशंका,है आशंका कि क्या होगा कोई तुझ पर मेहरबान,
संकोच है संकोच कि तुझको भी हो जाना चाहिए था बेईमान,
मेहरबान,मेहरबान होगी काइनात मेहरबान,
बेईमान, बेईमान भी हो कर नतमस्तक करेंगे तुझको सलाम,
बस,करते जा कर्म तू सुबह शाम ।
©@ghatakshabd,ullas
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