ये सांझ कुछ कहती है
कभी सुनो तो सही...
ये आसमान भी रोती है
कभी देखो तो सही...
बदलो की लुका छिपी,
हवाओं की सर्सराहट,
फूलों का यू खिल जाना और
वादियों का महक जाना,
पंछियों का चेहेकना
और न जाने कितना कुछ
कभी अनुभव करो तो सही...
जिंदगी ठहर सी गई है...
वह भी वक्त आएगा,
जब जिंदगी आगे निकल जाएगी,
पीछे छूट जाएंगे सिर्फ कुछ निशान,
पता नहीं वह निशान...
खूबसूरत होंगे या बदसूरत,
बस आज रोक लो अपने कदमों को
ठहर जाओ क्योंकि,
जिंदगी ठहर सी गई है...
आज वर्ल्ड हेल्थ डे है दूसरी शब्दों में कहे तो आज ही के दिन WHO का जन्म हुआ था अर्थात आज WHO का जन्म दिवस है।
7 अप्रैल 1948 से 7 अप्रैल 2020 तक 72 साल हो चुके हैं लेकिन ऐसी महामारी पहले कभी नहीं देखी होगी पूरी दुनिया ने जैसे हालात कोरोना के वजह से उत्पन्न हुई है।
इसलिए हमें सिर्फ और सिर्फ देश-विदेश के हालात पर नजर रखते हुए खुद को सुरक्षित रखना है और दूसरों को भी जागरूक करना है।
दोस्तों हमें सरकार के निर्देशों का पालन करते हुए इस संकट काल में देश की मदद करनी चाहिए।
।।धन्यवाद।।
जीने के लिए ऐसी संघर्ष भी देखनी होगी...
किसने सोचा था।
दुनिया के ताकतवर देशों को ऐसे परेशान होना होगा...
किसने सोचा था।
लोगों को लॉक डाउन जैसे नियम का पालन करना होगा...
किसने सोचा था।
किसी के छू देने मात्र से ऐसी बीमारी...
किसने सोचा था।
किसी दूसरे के छुअन की बात तो छोड़ो साहेब...
खुद के हाथों को संभाल के रखना पड़े...
न अपने होठों को छूना है न आंखों को...
किसने सोचा था।
मौत का डर था या जीने का जुनून था।
जो भी था उस नजारे में एक सुकून था।
पीएम के एक आवाहन पर लोगों ने घरों की लाइट बुझाई थी।
"हम भारतवासी एक हैं",
यह मैसेज दुनिया के हर कोने में पहुंचाई थी।
मुझे नहीं मालूम इस महामारी से कौन निपट जाएगा।
और कौन बच पाएगा।
जो भी हो बचने वाले अपने आने वाले पीढ़ी को बताएंगे।
हमने भी दीप जलाया था।
सारे देशवासियों ने साथ में दिवाली मनाया था।।
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