हाय रे करोना
करोना की बीमारी हैं बेजुबानी, कहीं कहासुनी कहीं हैं मनमानी,
बीते दिन बीते है कई महीनो, फिर भी ना रुकत है, ये करोना के खबरियों,
बितल बा फगुआ, बितल वैशाखी अब बीते के हा आषाढ़ ,का होई अभी भी ना मालूम बा, ना कूछो पता बा,
सब के भईल बा कैसन कैसन स्थिति,
" सुरुए से कैलन मदद सबों के,
एक ही बनके सबो के मसीहा " नाम ह उनका "सोनू" काम करेलन "शुद्ध"
तब से लेकर अब तक करते रहल बहुत पुण्य! धन्य हैं, वो भगवान् धन्य है, जिनके वो कर्म सदा करिए ये कर्म भगवान भी रखिए उनको
सरल और संगम,
मानवता के ये है चिनाहत्सी और सब उसके मूरत, ना जाने कब जागे और कोई मधुर सुदन ।।
सुभाष सुमन
©Subhash Suman
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