Deepanshu

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मेरी रचनाएं पढ़ लीजिए, आप खुद-ब-खुद मुझे जान जायेंगे.....

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White मुझे शाम के शौकीनों का शौक़ है अब, मुझे दिन वालों से क्या, रात वालों से क्या; मुझे "हमउम्रों" की फ़िक्र से फर्क पड़ता है, मेरे पहले वालों से क्या, बाद वालों से क्या। ©Deepanshu

#lifelessons #lifequotes #Sad_Status #lovelife #Heart  White मुझे शाम के शौकीनों का शौक़ है अब,
मुझे दिन वालों से क्या, रात वालों से क्या;
मुझे "हमउम्रों" की फ़िक्र से फर्क पड़ता है,
मेरे पहले वालों से क्या, बाद वालों से क्या।

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White ना मृगनयनी मैं नैन लिखूंगा, ना स्व प्रभात उसको रैन लिखूंगा। ना हिरनी जैसी चाल लिखूंगा, ना काली घटाओं सा बाल लिखूंगा। ना गोरे गोरे गाल लिखूंगा, ना उसका "ची" सुर ताल लिखूंगा। ना पुष्पम उसके हाथ लिखूंगा, ना मनभावन उसकी बात लिखूंगा। ना आलौकिक मैं मुस्कान लिखूंगा, ना सज्जन उसके प्राण लिखूंगा। वो साधारण कन्या मुझसे मिलने वाली, मैं उसको लड़की "आम" लिखूंगा। ©Deepanshu

#lifelessons #lifequotes #Sad_Status #lovelife #Heart  White ना मृगनयनी मैं नैन लिखूंगा,
ना स्व प्रभात उसको रैन लिखूंगा।
ना हिरनी जैसी चाल लिखूंगा,
ना काली घटाओं सा बाल लिखूंगा।
ना गोरे गोरे गाल लिखूंगा,
ना उसका "ची" सुर ताल लिखूंगा।
ना पुष्पम उसके हाथ लिखूंगा,
ना मनभावन उसकी बात लिखूंगा।
ना आलौकिक मैं मुस्कान लिखूंगा,
ना सज्जन उसके प्राण लिखूंगा।

वो साधारण कन्या मुझसे मिलने वाली,
मैं उसको लड़की "आम" लिखूंगा।

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................... ©Deepanshu

#lifelessons #lovequotes #lifequotes #lifequote #lovelife  ...................

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#lifelessons #lifequotes #lifequote #GoodNight #lovelife #alone  White पहली बार नजरें मिली थीं हमारी,
मैं काँप रहा था।
लेकिन मैंने अपने शरीर को वश में रखा।
तुम मुस्कुराई,
मेरे हृदय की कपकपी बढ़ती गई,
तभी, तुमने नाम पूछ लिया।
ऐसा लगा,
जैसे अब मेरा हृदय मेरी छाती को चीर देना चाहता है।
मैंने धीरे से नाम कहा।
तब मैंने देखा तुम्हारे माथे की ओर,
और बस देखता रहा,
तुम्हारी उस बिंदिया को।
वो घास के ढेर में उस सुई के समान था
जिसने मेरे हृदय को घायल कर दिया।
शायद ये घायल होना चाहता था।
न जाने क्या,
लेकिन कुछ तो था तुम्हारी उस काली बिंदी में,
जो मुझे तुम्हारी ओर खींच रहा था।
वो बिंदिया बता रही थी,
कि तुम्हे किसी श्रृंगार की ज़रूरत नहीं।
उस बिंदिया से झलकती थी, तुम्हारी "सादगी"।
और तब,
मैंने तुम्हारे माथे को चूमा,
कल्पना में।
मेरे होठों ने तुम्हारी बिंदी का स्पर्श महसूस किया।
ऐसा लगा, जैसे,
मेरे शरीर में प्रेम बह रहा हो।
मैं सुन्न।
ख़ामोश।
पीछे से किसी ने टोका,
मालूम हुआ तुम जा चुकी हो,
और तुम्हारे साथ चला गया मेरे हृदय का चहकना।
रह गई तो तुम्हारे चेहरे की प्रतिमा, मेरी आँखों में,
और उसमे झलकती,
तुम्हारी "बिंदिया"।

©Deepanshu
#lifelessons #lifequotes #lifequote #lovelife #alone  White बरसात का मौसम था,
मैं छत पर भागा और देखा कि
वो अपने घोसले से बाहर उस लोहे की छड़ी पर बैठी है
जो दीवार से बाहर की ओर झुकती है,
और वो बारिश में भीगती हुई,
धीमी आवाज़ में चहकती है।
सोचा पास जा के देखूँ लेकिन,
वो उड़ गई।
उसका वो गाढ़ा रंग बहुत ख़ास नहीं था,
फिर भी उस छोटे से पक्षी में उत्सुकता थी,
उसकी नहीं, मेरी।
लेकिन न जाने कैसे, ये उत्सुकता खत्म होती रही।
कुछ सालों में।
उस दिन मैंने आकाश में पतंग उड़ते देखा,
मेरे मन की उस उत्सुकता को अब इस पतंग ने अपनी ओर मोहित कर लिया था।
मैं भूल गया, उस गहरे प्राणी को।
मेरे हृदय में अब उन रंग बिरंगे निर्जीवों का वास था।
एक शाम, अपने पतंग की डोर बाँधते हुए मैंने देखा
कि वो जीवित वस्तु उसी लोहे कि छड़ पर बैठी है,
मैं उसे देखता, और वो मुझे।
ऐसा लगा, जैसे वो मुझसे कुछ कहना चाहती है,
मैं आगे बढ़ा,
वो पीछे हटी,
मानो पूछ रही हो, "मुझे अपनी कहानियों में तो रखोगे न?"
मेरी आँखों ने इशारा किया, " हाँ"।
और फिर,
वो उड़ गई।
मैंने उसे ताकता रहा, लेकिन,
वो खो गई,
आकाश में उड़ते उन पतंगों के बीच।
मैं दौड़कर उसके घोसले की ओर गया,
उसी डोर में लिपटा उसका घर तिनका हो चुका था।
शायद वो जा चुकी थी,
हमेशा के लिए।

©Deepanshu

✍️🍁...... #alone #life #lifequotes #lifelessons #lifequote #lovelife #poem

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#NirbhayaJustice #crimestory #GirlChild #Stoprape #justice #Moumita  तुम आवाज़ उठाते हो जहाँ पानी का ना अंत है,
तुम्हारी चीख सुनने को उनके दोनों कान बंद है।

तुम पीड़ित हो न? तुम कुछ मत बोलो,
कीचड़ फेंका तुम पर? तुम मुँह धोलो।

तुम जाती हो छोड़कर हमे? अब हम शोक मनाएंगे,
हर पीड़ित को इंसाफ दिलाया है, तुम्हे भी दिलाएंगे।

देरी ही तो हुई है, इंसाफ तो सबको मिला है,
मां को न्याय तब मिला, जब बेटी ने भी झेला है।

उसे सज़ा कहेंगे और तुम्हे कहानी मानकर भुलायेंगे,
देरी के लिए खेद जताकर तुम्हे "देश की बेटी" बताएंगे।

(तुम्हे लड़की होकर लड़की कहलाने से डर लगता है,
आज़ादी है आज लेकिन हमे तिरंगा फहराने से डर लगता है।)

©Deepanshu
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