M  Kumar

M Kumar

Jeene ka tajurba bus etana sa hai ..adab se pesh aana hai jahan mai lane walo se .

  • Latest
  • Popular
  • Repost
  • Video

Mere hisse mai hi waqt nahi aaya .......... mai waqt ko takta raha or Waqt gujarata gaya.... ©M Kumar

#विचार  Mere hisse mai hi waqt nahi aaya ..........
mai waqt ko takta raha
 or  Waqt gujarata gaya....

©M  Kumar

Mere hisse mai hi waqt nahi aaya .......... mai waqt ko takta raha or Waqt gujarata gaya.... ©M Kumar

14 Love

dekha jo rojani ka ye duar .... laga jaise suraj bhi sharma gaya hai ...sochata hoga ab meri jarurat nahi ...aab chain le kar dekhu ki wakai ye haqqiqat hai ya sapna hai .... ©M Kumar

#ज़िन्दगी #blindinglights  dekha jo rojani ka ye duar ....
laga jaise suraj bhi sharma gaya hai ...sochata hoga ab meri jarurat nahi ...aab chain le kar dekhu ki wakai ye haqqiqat hai ya sapna hai ....

©M  Kumar

Es jahan mai Kisi ko nahi padi aapki.... jo aap se kahe kaise ye uljan aan padi ©M Kumar

#ज़िन्दगी #StandProud  Es jahan mai Kisi ko nahi padi aapki....
jo aap se kahe kaise ye uljan aan padi

©M  Kumar

#StandProud

12 Love

#ज़िन्दगी #God  जीवन के राह  मैं
 मेरे हिस्से मैं आई हर चुनौती 
तेरा शुक्रिया.....
बिना तेरे
 मेरा किरदार  भला कहां कुछ था.......
🙏🙏🙏

©M  Kumar

#God

27 View

#ज़िन्दगी #phool  यूं तो जिंदगी तुम से बहुत सी शिकायते है........... पर जो पा लिया है  उससे तुम बुरी नही लगती ।

©M  Kumar

#phool

105 View

हिन्दू या मुस्लिम के अहसासात को मत छेड़िये अपनी कुरसी के लिए जज्बात को मत छेड़िये हममें कोई हूण, कोई शक, कोई मंगोल है दफ़्न है जो बात, अब उस बात को मत छेड़िये ग़र ग़लतियाँ बाबर की थीं; जुम्मन का घर फिर क्यों जले ऐसे नाजुक वक्त में हालात को मत छेड़िये हैं कहाँ हिटलर, हलाकू, जार या चंगेज़ ख़ाँ मिट गये सब, क़ौम की औक़ात को मत छेड़िये छेड़िये इक जंग, मिल-जुल कर गरीबी के ख़िलाफ़ दोस्त, मेरे मजहबी नग्मात को मत छेड़िये ©M Kumar

#ज़िन्दगी #oldage  हिन्दू या मुस्लिम के अहसासात को मत छेड़िये
अपनी कुरसी के लिए जज्बात को मत छेड़िये

हममें कोई हूण, कोई शक, कोई मंगोल है
दफ़्न है जो बात, अब उस बात को मत छेड़िये

ग़र ग़लतियाँ बाबर की थीं; जुम्मन का घर फिर क्यों जले
ऐसे नाजुक वक्त में हालात को मत छेड़िये

हैं कहाँ हिटलर, हलाकू, जार या चंगेज़ ख़ाँ
मिट गये सब, क़ौम की औक़ात को मत छेड़िये

छेड़िये इक जंग, मिल-जुल कर 
 गरीबी के ख़िलाफ़
दोस्त, मेरे मजहबी नग्मात को मत छेड़िये

©M  Kumar

#oldage

9 Love

Trending Topic