RAHUL PARDHAN

RAHUL PARDHAN Lives in Hariyana, Uttar Pradesh, India

सीधी बात नो बक़वास.... राहुल प्रधान पोस्ट अच्छी लगे तो लाइक,कॉमेंट, शेयर, ओर फॉलो जरूर करे। अगर किसी को बात करनी हैं मुझसे नीचे लिंक पर जाए, ओर फॉलो करें....😊👇

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#thought_of_the_day #कविता #thought #kavita #Good #kavi  चल पड़े हैं उन रास्तों पर...
 जिनका कोई मुकाम नहीं...
हम ऐसे दौर से गुजरे हैं इस वक्त...
ना मंजिल की खबर है ना अपनों की...
मिल जाएगा मुकाम एक दिन...
ऐसी लगा रखी है खुद उम्मीदें...
यू ही सफर कट जाएगा...
जिंदगी का राहुल...
जब तक तेरे होसलो मे उड़ान है ....
दिख जाएगा वो मुकाम भी...
जैसे ऊपर नीला आसमान है...
बस खुद से लगाई आस ना छोड़ना ...
बस थोड़ी सी मुस्कीलो के बाद...
 तेरे सपनो का जहांन हैं...

©RAHUL PARDHAN

रास्ते #kavi #kavita #thought #thought_of_the_day #go #Good

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चल पड़े हैं उन रास्तों पर... जिनका कोई मुकाम नहीं... हम ऐसे दौर से गुजरे हैं इस वक्त... ना मंजिल की खबर है ना अपनों की... मिल जाएगा मुकाम एक दिन... ऐसी लगा रखी है खुद उम्मीदें... यू ही सफर कट जाएगा... जिंदगी का राहुल... जब तक तेरे होसलो मे उड़ान है .... दिख जाएगा वो मुकाम भी... जैसे ऊपर नीला आसमान है... बस खुद से लगाई आस ना छोड़ना ... बस थोड़ी सी मुस्कीलो के बाद... तेरे सपनो का जहांन... ©RAHUL PARDHAN

#कविता #शायरी #thoutsoftheday #kavita #bike  चल पड़े हैं उन रास्तों पर...
 जिनका कोई मुकाम नहीं...
हम ऐसे दौर से गुजरे हैं इस वक्त...
ना मंजिल की खबर है ना अपनों की...
मिल जाएगा मुकाम एक दिन...
ऐसी लगा रखी है खुद उम्मीदें...
यू ही सफर कट जाएगा...
जिंदगी का राहुल...
जब तक तेरे होसलो मे उड़ान है ....
दिख जाएगा वो मुकाम भी...
जैसे ऊपर नीला आसमान है...
बस खुद से लगाई आस ना छोड़ना ...
बस थोड़ी सी मुस्कीलो के बाद...
 तेरे सपनो का जहांन...

©RAHUL PARDHAN

चल पड़े हैं उन रास्तों पर... जिनका कोई मुकाम नहीं... हम ऐसे दौर से गुजरे हैं इस वक्त... ना मंजिल की खबर है ना अपनों की... मिल जाएगा मुकाम एक दिन... ऐसी लगा रखी है खुद उम्मीदें... यू ही सफर कट जाएगा... जिंदगी का राहुल...

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❤️दर्द ए-जिंदगी💔 ना जाने कौन से गुनाह कर बैठे हैं , जो तमन्नाओं की उम्र में तजुर्बे लिए बैठे हैं... परेशानियों ने दी ऐसी दस्तक जिंदगी मै , गम का शलाब दिलो दिमाक पर छाया है , कमबख्त उठ गया भरोसा इस जिंदगी से अब तो, क्योकिं हर किसी ने हमारी अच्छाई फायदा उठाया हैं... अपने अंदर का बचपना हमेशा जिंदा रखता हूँ , मेरे अनुभव ने मुझे सिखाया हैं , यहाँ कोई किसी का हमदर्द नही होता, इस दुनिया ने हर किसी का मजाक उड़ाया हैं, अब परवाह नही करता किसी की में , क्योंकि मेरे जज्बातों ने ही मुझे रुलाया हैं... जब छोड़ दिया बीच राह में जिंदगी , तो अब मेरा जिक्र मत कर , मैं जिस भी हाल में हूँ ठीक हूँ , ए जिंदगी तू फिक्र मत कर , अब छोड़ दें तन्हा तु मुझे मेरे हाल पर , जिंदगी तू दर्द देकर , अब मेरी हमदर्द बनने की कोशिश मत कर... राहुल प्रधान ©RAHUL PARDHAN

 ❤️दर्द ए-जिंदगी💔
ना जाने कौन से गुनाह कर बैठे हैं ,
जो तमन्नाओं की उम्र में तजुर्बे   लिए बैठे हैं...

परेशानियों  ने दी ऐसी दस्तक जिंदगी मै , 
गम  का शलाब दिलो दिमाक पर छाया है ,
कमबख्त उठ गया भरोसा इस जिंदगी से अब तो, 
क्योकिं हर किसी ने हमारी अच्छाई फायदा उठाया हैं...

अपने अंदर का बचपना हमेशा जिंदा रखता हूँ ,
मेरे अनुभव ने मुझे सिखाया हैं ,
यहाँ कोई किसी का हमदर्द नही होता,
इस दुनिया ने हर किसी का  मजाक  उड़ाया हैं,
अब परवाह नही करता किसी की में ,
क्योंकि मेरे जज्बातों  ने ही मुझे रुलाया हैं...

जब छोड़ दिया बीच राह में जिंदगी ,
तो अब मेरा जिक्र मत कर ,
मैं जिस भी हाल में हूँ ठीक हूँ , 
ए जिंदगी तू फिक्र मत कर ,
अब छोड़ दें तन्हा तु मुझे मेरे हाल पर ,
जिंदगी तू  दर्द देकर ,
अब मेरी हमदर्द बनने की कोशिश मत कर...

राहुल प्रधान

©RAHUL PARDHAN

#जिन्दगी #दर्द #पोस्ट #कविता #कवि #fourlinepoetry

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किश्त कोई तो किश्त है जो शायद अदा नहीं है , साँस बाक़ी है और हवा नहीं है , नसीहतें , सलाहें , हिदायतें तमाम पर्चे पर है पर दवा नहीं है , आँख भी ढक लीजिये संग मुँह के मंज़र सचमुच अच्छा नहीं है , रक्त बिका , पानी बिका , आज बिक रही है हवा , कुदरत का ये तमाचा बेवजह नहीं है हरेक शामिल है इस गुनाह में कुसूर किसी एक का नहीं है , वक्त है अब भी ठहर जाओ , वक्त है अब भी ठहर जाओ , अभी सब कुछ लुटा नहीं है... राहुल प्रधान ©RAHUL PARDHAN

#Nodiscrimination #कविता  किश्त
कोई तो किश्त है जो शायद अदा नहीं है ,
साँस बाक़ी है और हवा नहीं है ,
नसीहतें , सलाहें , हिदायतें तमाम पर्चे पर है 
पर दवा नहीं है ,
आँख भी ढक लीजिये संग मुँह के मंज़र सचमुच अच्छा नहीं है ,
रक्त बिका , पानी बिका , आज बिक रही है हवा ,
कुदरत का ये तमाचा बेवजह नहीं है हरेक शामिल है 
इस गुनाह में कुसूर किसी एक का नहीं है ,
वक्त है अब भी ठहर जाओ ,
वक्त है अब भी ठहर जाओ ,
अभी सब कुछ लुटा नहीं है... राहुल प्रधान

©RAHUL PARDHAN

जिंदगी के रंग ऐ जिंदगी आ के मेरी साँसों में बिखर जाओ तो अच्छा होगा , बन के रूह मेरे जिस्म में उतर जाओ तो अच्छा होगा , किसी रात तेरी गोद में सिर रख के सो जाऊं तो , ऐ जिंदगी फिर उस रात की कभी सुबह ना हो तो अच्छा होगा... ©RAHUL PARDHAN

#विचार #zindagikerang  जिंदगी के रंग

ऐ जिंदगी आ के मेरी साँसों में बिखर जाओ तो अच्छा होगा , 
बन के रूह मेरे जिस्म में उतर जाओ तो अच्छा होगा , 
किसी रात तेरी गोद में सिर रख के सो जाऊं तो , 
ऐ जिंदगी फिर उस रात की कभी सुबह ना हो तो अच्छा होगा...

©RAHUL PARDHAN

तेरी बुराइयों को हर अख़बार कहता है , और तू मेरे गांव को गँवार कहता है , ऐशहर मुझे तेरी औक़ात पता है , तू चुल्लू भर पानी को भी वाटर पार्क कहता है , थक गया है हर शख़्स काम करते - करते , तू इसे अमीरी का बाज़ार कहता है , गांव चलो वक्त ही वक्त है सबके पास , तेरी सारी फुर्सत तेरा इतवार कहता है , मौन होकर फोन पर रिश्ते निभाए जा रहे हैं , तू इस मशीनी दौर को परिवार कहता है , जिनकी सेवा में खपा देते थे जीवन सारा , तू उन माँ बाप को अब भार कहता है , वो मिलने आते थे तो कलेजा साथ लाते थे , तू दस्तूर निभाने को रिश्तेदार कहता है , बड़े - बड़े मसले हल करती थी पंचायतें , तु अंधी भ्रष्ट दलीलों को दरबार कहता है , बैठ जाते थे अपने पराये सब बैलगाडी में , पूरा परिवार भी न बैठ पाये उसे तू कार कहता है , अब बच्चे भी बड़ों का अदब भूल बैठे हैं , तू इस नये दौर को संस्कार कहता है... राहुल प्रधान

#StarsthroughTree #कविता  तेरी बुराइयों को हर अख़बार कहता है ,
 और तू मेरे गांव को गँवार कहता है ,
 ऐशहर मुझे तेरी औक़ात पता है , 
तू चुल्लू भर पानी को भी वाटर पार्क कहता है ,
 थक गया है हर शख़्स काम करते - करते ,
 तू इसे अमीरी का बाज़ार कहता है ,
 गांव चलो वक्त ही वक्त है सबके पास ,
तेरी सारी फुर्सत तेरा इतवार कहता है ,
 मौन होकर फोन पर रिश्ते निभाए जा रहे हैं , 
तू इस मशीनी दौर को परिवार कहता है ,
 जिनकी सेवा में खपा देते थे जीवन सारा ,
 तू उन माँ बाप को अब भार कहता है ,
वो मिलने आते थे तो कलेजा साथ लाते थे ,
 तू दस्तूर निभाने को रिश्तेदार कहता है ,
बड़े - बड़े मसले हल करती थी पंचायतें ,
 तु अंधी भ्रष्ट दलीलों को दरबार कहता है ,
बैठ जाते थे अपने पराये सब बैलगाडी में ,
 पूरा परिवार भी न बैठ पाये उसे तू कार कहता है ,
अब बच्चे भी बड़ों का अदब भूल बैठे हैं ,
 तू इस नये दौर को संस्कार कहता है... राहुल प्रधान
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