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Insta id: kagaj.syahi.kalam
छत दिवारे खिड़की दरवाजे सब मकान के हिस्से है एहसासों का रिश्ता घर, जहा एहसासो के किस्से हैं ©Ashish Deshmukh
Ashish Deshmukh
9 Love
हमे कोजागिरी आज मुबारक तुमसे राबता जो आज हुआ है यूं बस आंखें चार हुई है तुमसे बिनछुए तुमने कितना छुआ है ©Ashish Deshmukh
10 Love
प्रकटीकरण है पंचमहाभूतो के, अपनी यही पहचान है यह गलतफहमी है की शरीर के अंदर भी एक जान है मै फलाना, तू ढिमकाना यह तो सारी है भ्रम की बाते बस राख के ढह जाने और खडे होने की ये दास्तान है ©Ashish Deshmukh
कलाई से उतरी हूई कुछ राखियाँ कह गयी पत्नी के मांग का सिंदूर मां भारती का था ©Ashish Deshmukh
0 Love
शब्द शब्द से छलकता है अमृत जरासा पीने की कोशिश में हूं जो निशान काग़ज़ पर कलम के है उन पदचिन्हों पर चलने की कोशिश मे हूं ©Ashish Deshmukh
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