मनीष कुमार बिलावत

मनीष कुमार बिलावत

"मंच से नहीं कलम से कवि बनो ।"

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कोई शिकायत नहीं ऐ जमाने मुझसे, मैं तो अपने यकिन पर शर्मिन्दा हूं।। ©मनीष कुमार बिलावत

#कविता  कोई शिकायत नहीं ऐ जमाने मुझसे,
मैं तो अपने यकिन पर शर्मिन्दा हूं।।

©मनीष कुमार बिलावत

कोई शिकायत नहीं ऐ जमाने मुझसे, मैं तो अपने यकिन पर शर्मिन्दा हूं।। ©मनीष कुमार बिलावत

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#फ़िल्म  परिंदे वे हि हैं,
सिर्फ जाल बदलने वाला हैं।
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं

©मनीष कुमार बिलावत

परिंदे वे हि हैं, सिर्फ जाल बदलने वाला हैं। नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं ©मनीष कुमार बिलावत

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माना कि मैं मुक़म्मल नहीं हूँ, पर ख़ुश हूँ कि मरहम हूँ, किसी के लिए जख्म नहीं हूँ। ©मनीष कुमार बिलावत

#शायरी  माना कि मैं मुक़म्मल नहीं हूँ, पर ख़ुश हूँ कि मरहम हूँ, 
किसी के लिए जख्म नहीं हूँ।

©मनीष कुमार बिलावत

माना कि मैं मुक़म्मल नहीं हूँ, पर ख़ुश हूँ कि मरहम हूँ, किसी के लिए जख्म नहीं हूँ। ©मनीष कुमार बिलावत

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स्त्री का सब्र सबसे ठोस और लम्बा होता है शायद इसीलिए वह स्त्री हैं और पूजनीय, वंदनीय है। ©मनीष कुमार बिलावत

#Luminance  स्त्री का सब्र सबसे ठोस 
और लम्बा होता है
शायद इसीलिए वह स्त्री हैं 
और 
पूजनीय, वंदनीय है।

©मनीष कुमार बिलावत

#Luminance

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अपने ही हाथों से कर दिया आजाद उस परिंदे को ,जिसमे जान बसा करती थी हमारी ।। ©मनीष कुमार बिलावत

#MereKhayaal  अपने ही हाथों से कर दिया आजाद उस परिंदे को ,जिसमे जान बसा करती थी हमारी ।।

©मनीष कुमार बिलावत

#MereKhayaal

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सिर्फ इतना झूकों कि सामने वाला सम्मान से आपको उठा कर खुद से ऊंचा बिठा दे। ©मनीष कुमार बिलावत

 सिर्फ इतना झूकों कि सामने वाला सम्मान से आपको उठा कर
खुद से ऊंचा बिठा दे।

©मनीष कुमार बिलावत

सिर्फ इतना झूकों कि सामने वाला सम्मान से आपको उठा कर खुद से ऊंचा बिठा दे। ©मनीष कुमार बिलावत

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