मेरी मोहब्बत है वो कोई मज़बूरी तो नही, वो मुझे चाहे या मिल जाये, जरूरी तो नही, ये कुछ कम है कि बसा है मेरी साँसों में वो, सामने हो मेरी आँखों के जरूरी तो नही
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बहुत अजीब सिलसिले है इस मोहब्बत और इश्क के कोई वफा के लिए रोया कोई वफा करके रोया
430 Love
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