कभी अपनी हसी पर आ जाता है गुस्सा,
तो कभी सारे जहाँ को हसाने को जी चाहता है|
कभी छुपा लेता हूँ गमों को दिल के किसी कोने में,
तो कभी किसी को सब कुछ बताने को जी चाहता है||
कभी रोता नहीं दिल टूट जाने पर भी,
और कभी बस यूँ ही आँसू बहाने को जी चाहता है|
कभी हसी आ जाती है भीगी यादों में,
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here