............जिंदगी.............
_आंखो में आसूं इतने है कि,
आंसू को छिपाना मुस्किल है,
जख्म भी हमारे इतने गहरे है,
जिनका भरपाना ही मुस्किल है,
आसमान को देखते रहे,
पर कुछ मिला नही
बस आंखे भर आई ,
पर किसी से कोई गिला नहीं,
चांद भी अकेला था यहां
हम भी यहां तन्हा थे,
बस आंखे में नमी थी,
और खुद से रूस्बा थे
कभी सोचा ना था
तन्हा रहना इतना रास आएगा
ये दुनियां ये जहां
हमें इस क़दर रुलाएगा
रोते रोते अब सीख चुके है
ग़म में कैसे मुस्कुराना है
दिल में दर्द चाहे जितना हो
बस अब सबसे छुपाना है
सबब जिंदगी का लेकर
आगे बढ़ते जाना है,
मुस्किल-ए-मजील को देख
बस मुस्कुराना है, बस मुस्कुराना है,
तृप्ति_रानी_नाग
©TRUPTI RANI NAG
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