"अरे मेरी जान"
कहकर समझाती थी मुझे,
जब कभी मैं उदास होता था।
मेरी अच्छी और सबसे बड़ी बात मेरी सच्ची दोस्त।
एक वो ही थी, जो मुझे डांटती थी, जब मैं गलत होता था
पता है क्या???
जो बात मैं बोल भी नहीं पाता था, वो...बात...
वो समझ जाती थी।
मेरी अच्छी और मेरी सच्ची दोस्त।।
.... सौरभ बहल
©Saurabh Behl
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