हाथों में लिए बस्ता, आंखों में अरमान कितने है हर मोड़ खड़ी एक नई जिंदगी , सुकून के जहान कितने है अभी तो तराशे है कुछ ही शहर मेने उसमे ये आलम है हर रोज एक नही उड़ान , ए खुदा तेरे आसमान कितने है '' Shaurya Rathore ''
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