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स्मृतियो के धुंधले चित्रो को सवारती, बरसो से बंजर उरु भूमि में व्यर्थ स्नेह बीज गड़ती।
वो रोयी थी, एक बात हुवी थी, बड़ी जोर की उस दिन बरसात हुवी थी, आज फिर बरसात होने को है, ओर सायद वही बात होने को है। ©sanjay kumar kumola
sanjay kumar kumola
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जैसे, चिलचिलाती धूप में, कोई ठंडी हवा का झोंका छु जाता है ना , ऐसा कुछ। वो सर्दी की स्यामो में, चायी के गिलाश से, उंगलियों को जो गर्माहट मिलती है ना, वैसा कुछ। जो चाहा ना वो मिल जाये उस खुशी सा, मृग तृस्णा में मृग की तीस बुझ जाये, उस सा, सौर में खामोसी की चाह जैसा मुश्किलों में राह जैसा तूफा में साहिल सा, खोये को हाशिल सा होता है, "पहले पहले प्यार का एहसास" ©sanjay kumar kumola
13 Love
उलझन इस बात की है कि सब कहते हैं मैं शुल्झा इंसान हूँ ऐसे में मैं अपनी उलझने सुलझाऊं कैसे किसी को बताऊं कैसे। ©sanjay kumar kumola
12 Love
मुझे शक सा है ये कुछ इश्क़ सा है बेचैनियां भर के दिल में कोई महक रहा दिन भर इर्द-गिर्द इत्र सा है मुझे शक है ये इश्क़ सा है। ©sanjay kumar kumola
10 Love
निरंतर प्रयास और मन की शक्ति से ही, उत्तम युक्ति निकलती है जीने की। ©sanjay kumar kumola
प्रकृति की गोद में एक से है सब भेद करना तो बस इंसानी फितूर है। ©sanjay kumar kumola
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