"अखंड भारत" की "अखंड अक्षुण्णता" की जयजयकार हो।
…..जन गण के मन में हिंद की हुंकार हो।
कश्मीर से कन्याकुमारी तक सब एकीकार हो।
मेरे देश का हर नर नारी हिन्द का शिल्पकार हो।
वर्ण भेद छोड़ सब को समानता का अधिकार हो।
वसुधा की अस्मिता का चहू ओर गुणगान हो।
भारती के भाल पर हिमालय सा स्वाभिमान हो।
वीर शहीदों का बलिदान हर एक का अभिमान हो।
वतन की खातिर मरने वाला हर एक जांनिसार हो।
बलिदानो का हिसाब मांगने वाले क्यों ना शर्मसार हो।
पत्थरबाजों से हर एक पत्थर का हिसाब बार बार हो।
भारत तेरे टुकड़े होगे कहने वाले अब तार तार हो।
मासूमों को निर्भया, आसिफ़ा बनाने वालों पर धिक्कार हो।
और ऐसे नामर्दो का बीच चौराहे पर प्रतिकार हो।
"अखंड भारत" की "अखंड अक्षुण्णता" की जय जयकार हो…
अनुरागी मन
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