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Santosh Babu
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न था कुछ तो ख़ुदा था, कुछ न होता तो ख़ुदा होता, डुबोया मुझको होने ने न मैं होता तो क्या होता ! हुआ जब गम से यूँ बेहिश तो गम क्या सर के कटने का, ना होता गर जुदा तन से तो जहानु पर धरा होता! हुई मुद्दत कि 'ग़ालिब' मर गया पर याद आता है, वो हर इक बात पर कहना कि यूँ होता तो क्या होता ! ✍️ग़ालिब ©Santosh Babu
12 Love
आशियाना जो था अपना, आज गुजरा वहां से लबों की ललक, आंखों की चमक, याद आया वहां से एहसास है कि साथ बैठी हो मेरे, एक-दूजे को निहारना हसीन सपने सजाना, सब कुछ। याद आया वहां से आशियाना जो था अपना, आज गुजरा वहां से ©Santosh Babu
10 Love
कितने दिनों के बाद है नजर आई, मुखड़ा चाँद जो मुझे चैन दिलाई, रात भर का इंतजार, फलईट-कार-स्कूटी का सफर, उनके दीदार ने थकान मिटाई। ✍️s.babu
8 Love
व्हाट्सएप न कोई कॉल कि दिल मांग रहा अपडेट तेरा । हाल उससे भी पूछ लिया करता हूँ ग़ालिब, मुझसे कम पता होता है जिसे हाल तेरा । fill long gap by call or whatsapp ✍️ S.babu
11 Love
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