प्रेम क्या है??
प्रेम ब्रह्मांड की तरह अनंत है
जिसको जानने का प्रयत्न लोग करते हैं
और करते रहेंगे,प्रेम को कितने ही
रचनाकारों ने अपने तरह से प्रकट किया है,
प्रेम मनुष्य,पशु,पक्षी,प्रकृति
किसी से भी हो सकता है,
प्रेम उन्मुक्त है क्यूंकि
इसको भूत,वर्तमान,भविष्य तक
सीमित नहीं किया जा सकता,
प्रेम माँ- पिता-बच्चे,भाई-बहन, प्रेमी-प्रेमिका
और प्रकृति-मनुष्य को एक
अदृश्य डोर से बांधता है,
जिसे हम कभी-कभी नकारते है
पर हमेशा उससे जुड़े रहते हैं।
मैं मजदूर था इसलिए मजबूर हो गया
परिवार पालने के वास्ते घर से दूर हो गया,
पूरे करता ख़्वाब परिवार के छोटे से ,
उससे पहले ही जीवन का शीशा चूर-चूर हो गया।
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