सुंदरता की तलाश में भटक रहे इधर उधर,
दिलवालों की उस नगरी में।
मिल जाये कोई सुन्दर सुशील सी कन्या,
हमको भी इस गगरी में।
मिली फिर एक चुलबुल सी लड़की उन्हीं रोज
भटकती किसी गालियों में।
दिल ए दरवाजा हमनें भी खोल दिया,
उसके इंतजार की कलियों में।
पता नहीं क्या हुआ हैं मुझको उसको यूँ आज देखकर,
ख्यालों में यूं दिनभर मैं खोया रहता हूँ।
कभी उसको दिल के प्यारे मकान में तो
कभी रात की उन हसीन सपनों मे खोया रहता हूँ।
©Vivek Dhawan
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