जब से तुमको देखा,मैं सपनों में खोने लगा ।
दिखता था चंदा में मामा, अब सनम दिखने लगा।।
पढ़ता हूं साइंस अब ,तेरी DP को जूम कर।
लिखता हू कविता अब ,तेरे ख्वाबों में झूम कर।।
इन सर्द रातों में कोई बात हो जाए ।
मेरा हाथ तुम्हारे हाथों में हो जाए।।
तुझको प्रोपोज़ करने में हम ,शर्मीले से क्या हो गए।
तब तक तेरे हाथ गैरो से पीले क्या हो गए।।
...Akash Patel
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here