Harendra Singh Lodhi

Harendra Singh Lodhi

उच्च कोटि हिन्दी साहित्य: लघु कथाएं, कविताएं,विरह गीत एवं आध्यात्मिक लेख हरेन्द्र की कलम से हरेन्द्र की आवाज में।

https://youtube.com/c/%E0%A4%85%E0%A4%98%E0%A5%8B%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%8F%E0%A4%95%E0%A4%B6%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A4%AD%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%A4

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सब कुछ बदल सा गया है या शायद कुछ भी नहीं बदला समय जैसे तेज बहुत तेज चला हो या शायद चला ही नहीं। कल...तुम पर हावी रिश्ते,जिम्मेदारियां दिखीं और...मुझ पर वही पुराना तेरा प्यार और आवारगी दिखी। तू आज भी चिड़िया जैसे बंधनों की मैं कोई पक्षी टूटी पंखों का। कल मैंने कुछ और भी देखा- दूरियां एक जमाने दिखीं पर फासला एक तिनके सा भी न था। ©Harendra Singh Lodhi

#brockenheart #lovequotes #lovehurts #candle  सब कुछ बदल सा गया है 
या शायद कुछ भी नहीं बदला
समय जैसे तेज बहुत तेज चला हो
या शायद चला ही नहीं।

कल...तुम पर हावी
रिश्ते,जिम्मेदारियां दिखीं
और...मुझ पर वही पुराना
तेरा प्यार और आवारगी दिखी।

तू आज भी चिड़िया
जैसे बंधनों की
मैं कोई पक्षी
टूटी पंखों का।

कल मैंने कुछ और भी देखा-
दूरियां एक जमाने दिखीं
पर फासला एक तिनके सा भी न था।

©Harendra Singh Lodhi

अमावस्या की रात किसी सूखे शाख पर बैठा चौकन्ना कोई निरीक्षक हूं मैं; उलूक हूं मैं, रात्रि मेरी...मां और तमस मेरा... ज्येष्ठ है; उलूक हूं मैं, मेरे लिए रात, अंधेरा और अकेलापन डर का पर्याय नहीं, अपितु मेरा सम्पूर्ण जीवन हैं, उलूक हूं मैं, मेरी दृष्टि में जीवन वैसा नहीं जैसा तुम्हारी में है; सृष्टि का अन्य पहलू हूं मैं पर हां विश्वास कर जीवन हूं मैं उलूक हूं मैं, मेरा भी श्रोत वही है जो तेरा है बस दिन उजाला और शोर मेरा नहीं उलूक हूं मैं। #composed_by_the_spiritual_wanderer ©Harendra Singh Lodhi

#composed_by_the_spiritual_wanderer #Light  अमावस्या की रात
किसी सूखे शाख पर
बैठा
चौकन्ना कोई निरीक्षक हूं मैं;
उलूक हूं मैं,
रात्रि मेरी...मां
और तमस मेरा... ज्येष्ठ है;
उलूक हूं मैं,
मेरे लिए रात, अंधेरा और अकेलापन
डर का पर्याय नहीं,
अपितु मेरा सम्पूर्ण जीवन हैं,
उलूक हूं मैं,
मेरी दृष्टि में
जीवन वैसा नहीं
जैसा तुम्हारी में है;
सृष्टि का अन्य पहलू हूं मैं
पर हां विश्वास कर
 जीवन हूं मैं
उलूक हूं मैं,
मेरा भी श्रोत वही है
जो तेरा है
बस दिन उजाला और शोर मेरा नहीं
उलूक हूं मैं।
#composed_by_the_spiritual_wanderer

©Harendra Singh Lodhi

#Light

9 Love

आज अंततोगत किञ्चित सा ही सही, किंतु कुछ कहना चाहता हूं... बड़ी मुश्किल से एक घरौंदा तैयार किया था तेरे हृदय में, जब रहने लगा तब अचानक से न जाने कहां से... एक अजनबी जबरन घुस आया, मैंने तनिक विरोध किया भी, कतिपय संघर्ष भी किया, किन्तु जब तुम ने कहा कि रहने दो उसे यहां! ये घर तुमने बनाया अवश्य है, किन्तु तुम्हारा है नहीं...कदाचित उसी का है। उस दिन तुम्हारे मुंह से ये बात सुनकर बहुत रोया था, और तिनका तिनका बिखरा भी था किन्तु वो तूफान वहीं नहीं थमा मेरे चाहने वाले ने मेरा सामान और बोरिया बिस्तर मुझे थमाते हुए कहा कि घर के बाहर, द्वार पर अपना सामान रख लो! बात जरा ये है कि भीतर अब जगह कम है। अब उसी घर की चौखट पर पड़ा हूं जो कभी अपने हाथों से बनाया था, जिसके बाहर कभी मेरा ही नेम प्लेट था, अहा... अब नेम प्लेट बदल गई है पुरानी वाली की जगह नई ने ली है जानती हो...कल रात के तूफान में मेरी जर्जर टटिया उड़ गई थी और मैं बिना बताए ही, बहुत मजबूर होकर, अपना सारा सामान समेट कर, तुम्हारी चौखट से अब कहीं दूर चला आया हूं... पता नहीं कहां? पर वो वादा अब भी है कि फिर मिलूंगा... कदाचित किसी और जन्म में। ©Harendra Singh Lodhi

#कविता #findyourself  आज अंततोगत किञ्चित सा ही सही,
किंतु कुछ कहना चाहता हूं...
बड़ी मुश्किल से एक घरौंदा तैयार किया था तेरे हृदय में,
जब रहने लगा 
तब अचानक से 
न जाने कहां से...
एक अजनबी जबरन घुस आया, 
मैंने तनिक विरोध किया भी, 
कतिपय संघर्ष भी किया,
किन्तु जब तुम ने कहा कि रहने दो उसे यहां!
ये घर तुमने बनाया अवश्य है,
किन्तु तुम्हारा है नहीं...कदाचित उसी का है।
उस दिन तुम्हारे मुंह से 
ये बात सुनकर बहुत रोया था, 
और तिनका तिनका बिखरा भी था
किन्तु वो तूफान वहीं नहीं थमा
मेरे चाहने वाले ने मेरा सामान और बोरिया बिस्तर 
मुझे थमाते हुए कहा कि घर के बाहर, द्वार पर 
अपना सामान रख लो! 
बात जरा ये है कि भीतर अब जगह कम है।
अब उसी घर की चौखट पर पड़ा हूं
जो कभी अपने हाथों से बनाया था, 
जिसके बाहर कभी मेरा ही नेम प्लेट था,
अहा... अब नेम प्लेट बदल गई है
पुरानी वाली की जगह नई ने ली है
जानती हो...कल रात के तूफान में 
मेरी जर्जर टटिया उड़ गई थी
और मैं बिना बताए ही,
बहुत मजबूर होकर,
अपना सारा सामान समेट कर, तुम्हारी चौखट से 
अब कहीं दूर चला आया हूं...
पता नहीं कहां? पर वो वादा अब भी है कि
फिर मिलूंगा... कदाचित किसी और जन्म में।

©Harendra Singh Lodhi

एक पराजित प्रेमी #findyourself

13 Love

#FourLinePoetry मैं चला प्रेम डगर पर, मैं मिटा प्रेम डगर पर, दोनों साथ साथ घटे; मेरा चलना औ मेरा मिटना... ©Harendra Singh Lodhi

#प्रेम #कविता #fourlinepoetry #मैं  #FourLinePoetry मैं चला प्रेम डगर पर,
मैं मिटा प्रेम डगर पर,
दोनों साथ साथ घटे;
मेरा चलना औ मेरा मिटना...

©Harendra Singh Lodhi
#आध्यात्मिक_कविता #कविता #who_am_I

कौन हूं मैं #आध्यात्मिक_कविता #who_am_I

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कौन हूं मैं? शायद कुछ भी नहीं और शायद सब कुछ: ये आकाश, ये पवन ये मिट्टी, ये जल और ये अग्नि... सब कुछ हूं मैं अडोल खड़ा ये दरखत हूं मैं, वायुमंडल में उड़ता वो खग हूं मैं, सब कुछ हूं मैं, और शायद कुछ भी नहीं, कौन हूं मैं? ©Harendra Singh Lodhi

#कविता #चिंतन #आत्म #मैं  कौन हूं मैं?
शायद कुछ भी नहीं
और शायद सब कुछ:
ये आकाश, ये पवन
ये मिट्टी, ये जल और ये अग्नि...
सब कुछ हूं मैं
अडोल खड़ा ये दरखत हूं मैं,
वायुमंडल में उड़ता वो खग हूं मैं,
सब कुछ हूं मैं,
और शायद कुछ भी नहीं,
कौन हूं मैं?

©Harendra Singh Lodhi
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