कोई काम कितना ही कठिन क्यों न हो, जिद और दृढ विश्वास से जरुर पूरा किया जा सकता है।
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पिता की दौलत पर क्या घमंड करना, मज़ा तो तब है.. जब दौलत अपनी हो और घमंड पिता करे
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सादगी हो लफ़्ज़ो मे तो यकीन मानिए, इज्ज़त बेपनाह और दोस्त बेमिसाल मिल ही जाते है.
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मित्रता का दायरा बहुत संकुचित न रखें. कभी कभी मुसीबत में खून के रिश्ते फीके, मित्रता के मीठे साबित होते हैं.
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