श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए तुम्हें ऐ वीरों
नतमस्तक है ये देश मेरा।
कि भारत माँ के चरणों में तुमने
स्वयं का ये बलिदान दिया।
समझती हूँ मैं उन माँओं के वेदना के करूण क्रंदन को,
छाती फट रही होगी हूक उठी होगी देख सदैव के लिए शांत अपने नंदन को,
हैं फिर भी गौरवान्वित अपनी कोख पर
न शीश है उनका झुका हुआ।
श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए तुम्हें ए वीरों
नतमस्तक है ये देश मेरा।
न छिप सकती है उन पिताओं की असहनीय पीड़ा भी,
हृदय पर रख पाषाण कर में थमा कर शस्त्र,
जिन्होंने सहमे से सपूतों को दहाड़ते शेर सा अमर पराक्रमी सैनिक बना दिया
श्रद्धांजलि अर्पित करते हुये ऐ मेरे देश के वीरों
नतमस्तक है आज ह्रदय मेरा।
समझ सकती हूँ मैं उन पिताओं के मौन क्रंदन को,
उंगली पकड़ चलना सिखाया जिन्होंने आत्मिक प्रेम के बंधन से,
जिन्होंने इस देश की सुरक्षा में
सदैव को कुल का दीपक गंवा दिया।
श्रद्धासुमन अर्पित करती हूँ मैं भी आज उन वीरों को
जिन्होंने अपने लहू से भारत माँ का कर्ज उतार दिया।
ये देश तुम्हारा कर्जदार है
और सदैव कर्जदार रहेगा मेरे वीरों,
अश्रुपूरित नेत्रों व गौरवान्वित ह्रदय से
नतमस्तक है ये देश तेरा। (वीरों को नमन 🙏) 🌹🍃🌹
-ANJALI SHARMA
©Anjali Sharma
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