Santosh Kumar

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यूं ढूंढू खुद को खुद में , क्या यही हूँ मैं???

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#mycity #लव #Flute

#mycity Tu aata hai sine me..Tribute to Sushant singh Rajpoot..#Flute

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#Naukri

#Naukri, Aisi hai tu #Naukri...

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#जानकारी

A tribute to CDS General Bipin Rawat Sir...🙏🏻🙏🙏🏻🙏🙏🏻

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#OctoberCreator

#OctoberCreator ..सज गया माँ जगदम्बे का फिर दरवाज आज.... #OctoberCreator #Nojoto Navratri Devotional Special Poem...

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#हिंदीदिवस२०२१. हमारी मातृभाषा #हिंदी है। पर दुर्भाग्य की बात हमारे देश के लाभकग लगभग कार्य अंग्रेजी में होतें हैं।अंग्रेजी पढ़े लिखे और बोलने वालों की प्रतिष्ठा समाज मे कुछ अलग ही होती है। २ शब्द अगर अंग्रेजी में बोल दिया जाय तो सारे लोगो के बीच उनका ब्यक्तिगत प्रतिष्ठा एक उच्च कोटि का हो जाता है। समस्या इस बात से नही है कि अंग्रेजी बोलने वालों की प्रतिष्ठा हमारे समाज मे एक उच्च कोटि का बन रहा है। बल्कि समस्या इस बात से है कि आप भले ही अच्छी हिंदी क्यों न जानते हो जब तक कि आप अंग्रेजी नही बोलोगे आप एक प्रतिष्ठित ब्यक्ति हो ही नही सकते। हम अंग्रेजी के चक्कर मे अपनी सभ्यता और संस्कृति को भूलते जा रहें हैं। हिंदी बोलने वालो का मजाक उड़ा रहें हैं। दरअसल हम बिहारियों के लिए हिंदी तो केवल एक राजभाषा ही नही बल्कि एक "#मां" के समान है। क्योंकि हिंदी ही एक मात्र ऐसी भाषा है जिसमें की समाज के अन्य दबे-कुचले भाषाए आकर शरण लेते हैं। ये सौभाग्य केवल और केवल #मां रूपी भाषा हिंदी को ही प्राप्त है। यहां तक कि अंग्रेजी भी आकर हिंदी में आसानी पूर्बक समहित होते हैं। पर इसके विपरीत अंग्रेजी में ये क्षमता नही हैं कि वो हिंदी अथवा दुनियां के अन्य भाषाओं को साथ लेकर चल सके। क्योंकि अन्य भाषाए उनके साथ सहज महसूस कर ही नही सकती। हमारा देश भारत गांवों का देश है। कहा जाता है कि भारत की आत्मा उसके गांवों में निवास करती है। और ये गांव अपनी मातृभाषा हिंदी पर पूर्णतः निर्भर करती है। हम ग्रामीण बंधु हिंदी की प्रभाव से नही बल्कि हिंदी के अभाव से जूझ रहे हैं। आज हमारे गांवों में हिंदी मध्यम की कोई अच्छी पुस्तकालय, विद्यालय, महाविद्यालय या अन्य संस्थानों का अभाव है। अतः ये हम सबो का कर्तव्य बनता है कि हिंदी को बढ़ावा दे, हिंदी में बाते करने और सुनने मे सहजता महसूस करे।तभी सच मायने मे हम विकसशील राष्ट्र के रूप में उभरेंगे। हिंदी भाषा जिसमे हम जितनी अधिक साधारण और सहज महसूस करेंगे उतनी ही अधिक हमारे जुवान पर सुंदर और महान बनकर उभरेंगी। #हिंदीदिवस #१४सितम्बर२०२१ -अपनीसोच ©Santosh Kumar

#१४सितम्बर२०२१ #हिंदीदिवस२०२१ #हिंदीदिवस #हिंदी #MereKhayaal  #हिंदीदिवस२०२१.
हमारी मातृभाषा #हिंदी है। पर दुर्भाग्य की बात हमारे देश के लाभकग लगभग कार्य अंग्रेजी में होतें हैं।अंग्रेजी पढ़े लिखे और बोलने वालों की प्रतिष्ठा समाज मे कुछ अलग ही होती है। २ शब्द अगर अंग्रेजी में बोल दिया जाय तो सारे लोगो के बीच उनका ब्यक्तिगत प्रतिष्ठा एक उच्च कोटि का हो जाता है।

समस्या इस बात से नही है कि अंग्रेजी बोलने वालों की प्रतिष्ठा हमारे समाज मे एक उच्च कोटि का बन रहा है। बल्कि समस्या इस बात से है कि आप भले ही अच्छी हिंदी क्यों न जानते हो जब तक कि आप अंग्रेजी नही बोलोगे आप एक प्रतिष्ठित ब्यक्ति हो ही नही सकते। हम अंग्रेजी के चक्कर मे अपनी सभ्यता और संस्कृति को भूलते जा रहें हैं। हिंदी बोलने वालो का मजाक उड़ा रहें हैं।

दरअसल हम बिहारियों के लिए हिंदी तो केवल एक राजभाषा ही नही बल्कि एक "#मां" के समान है। क्योंकि हिंदी ही एक मात्र ऐसी भाषा है जिसमें की समाज के अन्य दबे-कुचले भाषाए आकर शरण लेते हैं। ये सौभाग्य केवल और केवल #मां रूपी भाषा हिंदी को ही प्राप्त है। यहां तक कि अंग्रेजी भी आकर हिंदी में आसानी पूर्बक समहित होते हैं। पर इसके विपरीत अंग्रेजी में ये क्षमता नही हैं कि वो हिंदी अथवा दुनियां के अन्य भाषाओं को साथ लेकर चल सके। क्योंकि अन्य भाषाए उनके साथ सहज महसूस कर ही नही सकती।


हमारा देश भारत गांवों का देश है। कहा जाता है कि भारत की आत्मा उसके गांवों में निवास करती है। और ये गांव अपनी मातृभाषा हिंदी पर पूर्णतः निर्भर करती है। हम ग्रामीण बंधु हिंदी की प्रभाव से नही बल्कि हिंदी के अभाव से जूझ रहे हैं। आज हमारे गांवों में हिंदी मध्यम की कोई अच्छी पुस्तकालय, विद्यालय, महाविद्यालय या अन्य संस्थानों का अभाव है। अतः ये हम सबो का कर्तव्य बनता है कि हिंदी को बढ़ावा दे, हिंदी में बाते करने और सुनने मे सहजता महसूस करे।तभी सच मायने मे हम विकसशील राष्ट्र के रूप में उभरेंगे। हिंदी भाषा जिसमे हम जितनी अधिक साधारण और सहज महसूस करेंगे उतनी ही अधिक हमारे जुवान पर सुंदर और महान बनकर उभरेंगी।
#हिंदीदिवस
#१४सितम्बर२०२१
                                                     -अपनीसोच

©Santosh Kumar

आप हैं समाज, सभ्यता और संस्कृति के रक्षक जीवन के अनजाने राहों के पथ-प्रदर्शक अनमोल है आपकी कही हर वाणी भेद-भाव की नीति आपने कभी नही जानी अपने अनुभवों से नीति-न्याय की बाते सिखातें अनुशासन का पालन करवाते दृढ़ निश्चयी बनाते सफलता के लिए प्रेरित करतें भटके को राह दिखाते नसीब पर नही कर्म पर भरोसा करना सिखाते ले कर परीक्षाएँ घड़ी-घड़ी परिचय हमारा ये खुद से करवाते अज्ञान दूर कर ज्ञान की ज्योत जलाते अपने विद्या का करके दान हम छात्रों का करते कल्याण।। कर्तव्यनिष्ठ होते हैं आप स्वयं ईश्वरबक समान शिक्षा है आपका धर्म-इमान शिक्षित हो समाज ऐसा होता आपका गुण-गान।। ©Santosh Kumar

#happyteachersday2021  आप हैं समाज, सभ्यता और संस्कृति  के रक्षक
जीवन के अनजाने राहों के पथ-प्रदर्शक

अनमोल है आपकी कही हर वाणी
भेद-भाव की नीति आपने कभी नही जानी

अपने अनुभवों से नीति-न्याय की बाते सिखातें
अनुशासन का पालन करवाते
दृढ़ निश्चयी बनाते
सफलता के लिए प्रेरित करतें
भटके को राह दिखाते
नसीब पर नही कर्म पर भरोसा करना सिखाते

ले कर परीक्षाएँ घड़ी-घड़ी
परिचय हमारा ये खुद से करवाते
अज्ञान दूर कर ज्ञान की ज्योत जलाते

अपने विद्या का करके दान
हम छात्रों का करते कल्याण।।
कर्तव्यनिष्ठ होते हैं आप
स्वयं ईश्वरबक समान
शिक्षा है आपका धर्म-इमान
शिक्षित हो समाज ऐसा होता आपका गुण-गान।।

©Santosh Kumar
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