यज्ञदेव शर्मा 'शून्य'

यज्ञदेव शर्मा 'शून्य'

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#कविता  आप 
एक लालटेन थे
सदा अंधेरा हरते रहे

स्वयं प्रज्वलित हो
जीवन में उजाला भरते रहे

एक दिन
लालटेन बुझ गयी
हम चहुँ ओर से अंधकार में घिर गये

हमारी स्मृतियों में
लालटेन की रोशनी कौंधती है।

          

 (शब्द:डॉ. जसवीर त्यागी)

©यज्ञदेव शर्मा 'शून्य'

आप एक लालटेन थे सदा अंधेरा हरते रहे स्वयं प्रज्वलित हो जीवन में उजाला भरते रहे एक दिन लालटेन बुझ गयी हम चहुँ ओर से अंधकार में घिर गये हमारी स्मृतियों में लालटेन की रोशनी कौंधती है। (शब्द:डॉ. जसवीर त्यागी) ©यज्ञदेव शर्मा 'शून्य'

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दुनिया में ख़तरा बुरे की ताकत के कारण नहीं,अच्छे की दुर्बलता के कारण है।भलाई की साहसहीनता ही बड़ी बुराई है।घने बादल से रात नहीं होती, सूरज के निस्तेज हो जाने से होती है। # अज्ञेय ©यज्ञदेव शर्मा 'शून्य'

#कोट्स  दुनिया में ख़तरा बुरे की ताकत के कारण नहीं,अच्छे की दुर्बलता के कारण है।भलाई की साहसहीनता ही बड़ी बुराई है।घने बादल से रात नहीं होती, सूरज के निस्तेज हो जाने से होती है।

# अज्ञेय

©यज्ञदेव शर्मा 'शून्य'

दुनिया में ख़तरा बुरे की ताकत के कारण नहीं,अच्छे की दुर्बलता के कारण है।भलाई की साहसहीनता ही बड़ी बुराई है।घने बादल से रात नहीं होती, सूरज के निस्तेज हो जाने से होती है। # अज्ञेय ©यज्ञदेव शर्मा 'शून्य'

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#कविता #alone_quotes  White बाबा नागार्जुन की कविता

किसकी है जनवरी, किसका अगस्त है ?
कौन यहां सुखी है, कौन यहां मस्त है ?
सेठ है, शोषक है, नामी गला-काटू है,
गालियां भी सुनता है, भारी थूक-चाटू है,
चोर है, डाकू है, झूठा-मक्कार है,
कातिल है, छलिया है, लुच्चा-लबार है,
जैसे भी टिकट मिला, जहां भी टिकट मिला,
शासन के घोड़े पर वह भी सवार है,
उसी की जनवरी छब्बीस,
उसी का पंद्रह अगस्त है !

पटना है, दिल्ली है, वहीं सब जुगाड़ है,
मेला है, ठेला है, भारी भीड़-भाड़ है,
फ्रिज है, सोफा है, बिजली का झाड़ है,
फैशन की ओट है, सबकुछ उघाड़ है,
पब्लिक की पीठ पर बजट का पहाड़ है,
गिन लो जी, गिन लो, गिन लो जी, गिन लो,
मास्टर की छाती में कै ठो हाड़ है !
गिन लो जी, गिन लो, गिन लो जी, गिन लो,
मजदूर की छाती में कै ठो हाड़ है !
गिन लो जी, गिन लो, गिन लो जी, गिन लो,
घरनी की छाती में कै ठो हाड़ है !
गिन लो जी, गिन लो, गिन लो जी, गिन लो,
बच्चे की छाती में कै ठो हाड़ है !
देख लो जी, देख लो, देख लो जी, देख लो,
पब्लिक की पीठ पर बजट का पहाड़ है !

किसकी है जनवरी, किसका अगस्त है !!!!
कौन यहां सुखी है, कौन यहां मस्त है !!!!

सेठ ही सुखी है, सेठ ही मस्त है,
मंत्री ही सुखी है, मंत्री ही मस्त है,
उसी की है जनवरी, उसी का अगस्त है ।

©यज्ञदेव शर्मा 'शून्य'

#alone_quotes

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#कविता  सुलेखन सीरीज

©यज्ञदेव शर्मा 'शून्य'

सुलेखन सीरीज ©यज्ञदेव शर्मा 'शून्य'

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#कविता  सुलेखन सीरीज -6

©यज्ञदेव शर्मा 'शून्य'

सुलेखन सीरीज -6 ©यज्ञदेव शर्मा 'शून्य'

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#कविता  सुलेखन सीरीज -5

©यज्ञदेव शर्मा 'शून्य'

सुलेखन सीरीज -5 ©यज्ञदेव शर्मा 'शून्य'

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