यह जो गेहरे सन्नाटे हैं वक़्त ने सबको ही बांटे हैं थोडा गम है सबका किस्सा थोड़ी धुप है सबका हिस्सा आँख तेरी बेकार ही नम है हर पल एक नया मौसम है क्यूँ तू ऐसे पल खोता है दिल आखिर तू क्यूँ रोता है🍁
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