कहूं तो मैं तुमसे कैसे कहूं ...
की, मैं तुम्हारे बिना अधूरा सा लगता हूं ।।।
न जाने कैसी ये चाहत उठती है तुम्हारे लिए ,,,
कहना चाहूं तो तुमसे कैसे कहूं ...
कि, मैं तुमसे प्यार ... बेइंतहा करता हूं ।।।
वैसे तो ये जुल्फें तुम्हारी इन हवाओं से पहले भी उड़ती होंगी ,,,
पर जब से देखा है तुम्हें अपने केशुओं को संवारते हुए ,,,
कहना चाहूं तो मैं तुमसे कैसे कहूं ....
की, मैं वो हवा बनकर तुम्हें छूना चाहता हूं ।।।
जानता हूं कि इश्क में पागलपन भी जरूरी है ,,,
जानता हूं कि इश्क में पागलपन भी जरूरी है ,,,
पर कहना चाहूं तो मैं तुमसे कैसे कहूं ...
कि, मैं बस तुम्हारे नाम का पागल बन जाना चाहता हूं ।।।
©ROHIT
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