Aparna Nayak

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।।बाबा।। घर के छत जैसे हमारे जीवन की छाया हो, प्रकृति का अद्भुत सृष्टि आप मेरे बाबा हो। कंधे में बिठा के मुझे दुनिया घुमाते हो, परिवार का नियोजक आप मेरे बाबा हो। सुख,शांति त्याग कर हमारी जिंदगी संभालते हो, वह सरल इनसान आप मेरे बाबा हो। ना किसी चिंता या विपत्ति जब आप साथ हो, सारे मुश्किल दूर करते हो,आप मेरे बाबा हो। ©Aparna Nayak

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घर के छत जैसे हमारे जीवन की छाया हो,
प्रकृति का अद्भुत सृष्टि आप मेरे बाबा हो।

कंधे में बिठा के मुझे दुनिया घुमाते हो,
परिवार का नियोजक आप मेरे बाबा हो।

सुख,शांति त्याग कर हमारी जिंदगी संभालते हो,
वह सरल इनसान आप मेरे बाबा हो।

ना किसी चिंता या विपत्ति जब आप साथ हो,
सारे मुश्किल दूर करते हो,आप मेरे बाबा हो।

©Aparna Nayak

कभी कभी हाथ थामने वाला भी साथ नहीं देता। इससे अच्छा तो मेरा अकेलापन है, जो कभी मेरा साथ नहीं छोड़ता! ©Aparna Nayak

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इससे अच्छा तो मेरा अकेलापन है,
जो कभी मेरा साथ नहीं छोड़ता!

©Aparna Nayak

On the journey of life,many humps are there. But the important thing is, HOW YOU PASSED FROM THERE! ©Aparna Nayak

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But the important thing is,

HOW YOU PASSED FROM THERE!

©Aparna Nayak

यूं नाराज हो जाना,फिर मान जाना... मुझसे रूठ भी जाना, पर दूर नहीं जाना। मनाता रहूंगा हमेशा ऐसे ही... तुम भी मेरे साथ रहना ऐसे ही। ©Aparna Nayak

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मुझसे रूठ भी जाना,
पर दूर नहीं जाना।
मनाता रहूंगा हमेशा ऐसे ही...
तुम भी मेरे साथ रहना ऐसे ही।

©Aparna Nayak

भिगाने को बरसात कम पड़ गई थी, जो तूने आशुओं से भीगा दिया। कहने को क्या लफ्ज़ कम पड़ गई थी, जो तूने बेवफाई दिखा दिया। यूं तो हम भी रह सकते हैं तेरे बिना... पर,तेरी माशुमियत ने हमें बंजारा बना दिया। ©Aparna Nayak

#opensky_poet_quotes #शायरी #hindi_shayari #opensky_poet #Mashoomiyat  भिगाने को बरसात कम पड़ गई थी,
जो तूने आशुओं से भीगा दिया।
कहने को क्या लफ्ज़ कम पड़ गई थी,
जो तूने बेवफाई दिखा दिया।

यूं तो हम भी रह सकते हैं तेरे बिना...
पर,तेरी माशुमियत ने हमें बंजारा बना दिया।

©Aparna Nayak

वक्त रहते ही फिकर किया करो, कब क्या हो जायेगा ...किसे पता! अभी तो सांसे चल रही है, कल इस शरीर का क्या होगा ...किसे पता! ©Aparna Nayak

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कब क्या हो जायेगा ...किसे पता!
अभी तो सांसे चल रही है,
कल इस शरीर का क्या होगा ...किसे पता!

©Aparna Nayak
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