'लेख' ₹@J

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सुना दो सजा ऐ हुकूम हमें उम्रभर की हमने कत्ल किया है खुद के ही दिल का इन वीरान बस्तियों में आसियाना बसाकर हमने वजूद खत्म किया है खुद का एक दौर था जब दुनिया की नजर में गुनाहगार रहते थे पर खुद तो शुकून में थे और अब शराफत के बाजार में सरेआम नीलाम कर दिया हमने जमीर खुद का ©'लेख' ₹@J

 सुना दो सजा ऐ हुकूम हमें उम्रभर की हमने कत्ल किया है खुद के ही दिल का 
इन वीरान बस्तियों में आसियाना बसाकर हमने वजूद खत्म किया है खुद का
एक दौर था जब दुनिया की नजर में गुनाहगार रहते थे पर खुद तो शुकून में थे
और अब शराफत के बाजार में सरेआम नीलाम कर दिया हमने जमीर खुद का

©'लेख' ₹@J

सुना दो सजा ऐ हुकूम हमें उम्रभर की हमने कत्ल किया है खुद के ही दिल का इन वीरान बस्तियों में आसियाना बसाकर हमने वजूद खत्म किया है खुद का एक दौर था जब दुनिया की नजर में गुनाहगार रहते थे पर खुद तो शुकून में थे और अब शराफत के बाजार में सरेआम नीलाम कर दिया हमने जमीर खुद का ©'लेख' ₹@J

11 Love

चिलम से निकलती धुआं इतला करती थी हर खांसी से हर वक्त ना पीया कर मुझे मैं चंद घड़ियां जलकर बुझ जाऊंगी मुझसे ना लगा दिल बेहिसाब मैं तुझे सिर्फ नुकसान पहुंचाऊंगी कस खींच कर बोल पड़ा मैं कैसे भला तुझे छोड़ पाऊंगा तुझे बसाया है रुह में इस कदर कि ताउम्र वफ़ा निभाऊंगा उसके इश्क के उड़ते धुआं में जिंदगी की एक कड़ी गुजर गई मैं रोज रोज पीता रहा उसे और वो मुझे एक रोज में पी गई गिर कर हाथों से खिलखिलाने लगी इश्क मोहब्बत है झूठे समझाने लगी जिंदगी जाने का इतना दुःख ना हुआ दुःख हुआ कि मेरी मोहब्बत झूठी लगी ~ लेख ©'लेख' ₹@J

#Quotes  चिलम से निकलती धुआं 
इतला करती थी हर खांसी से 

हर वक्त ना पीया कर मुझे
मैं चंद घड़ियां जलकर बुझ जाऊंगी
मुझसे ना लगा दिल बेहिसाब 
मैं तुझे सिर्फ नुकसान पहुंचाऊंगी

कस खींच कर बोल पड़ा मैं 
कैसे भला तुझे छोड़ पाऊंगा 
तुझे बसाया है रुह में इस कदर
कि ताउम्र वफ़ा निभाऊंगा 

उसके इश्क के उड़ते धुआं में 
जिंदगी की एक कड़ी गुजर गई
मैं रोज रोज पीता रहा उसे 
और वो मुझे एक रोज में पी गई 

 गिर कर हाथों से खिलखिलाने लगी
इश्क मोहब्बत है झूठे समझाने लगी 
जिंदगी जाने का इतना दुःख ना हुआ 
दुःख हुआ कि मेरी मोहब्बत झूठी लगी 
~ लेख

©'लेख' ₹@J

चिलम से निकलती धुआं इतला करती थी हर खांसी से हर वक्त ना पीया कर मुझे मैं चंद घड़ियां जलकर बुझ जाऊंगी मुझसे ना लगा दिल बेहिसाब मैं तुझे सिर्फ नुकसान पहुंचाऊंगी कस खींच कर बोल पड़ा मैं कैसे भला तुझे छोड़ पाऊंगा तुझे बसाया है रुह में इस कदर कि ताउम्र वफ़ा निभाऊंगा उसके इश्क के उड़ते धुआं में जिंदगी की एक कड़ी गुजर गई मैं रोज रोज पीता रहा उसे और वो मुझे एक रोज में पी गई गिर कर हाथों से खिलखिलाने लगी इश्क मोहब्बत है झूठे समझाने लगी जिंदगी जाने का इतना दुःख ना हुआ दुःख हुआ कि मेरी मोहब्बत झूठी लगी ~ लेख ©'लेख' ₹@J

15 Love

मंजिल पर पहुंचने वाले ऐ मुसाफिरों जरा सा ख्याल इस मल्लाह का रखना मालूम है सफर खत्म हो गया है तुम्हारा कभी किस्सों कहानियों में मेरा जिक्र करना तुम्हें किनारा क्या मिला तेवर ही बदल गये समंदर में साथी बने अब इरादे बदल लिए जाते-जाते कह रहे हो ये तो मात्र सपना था ऐ फरेबी मुसाफिरों जरा सा रहम तो करना कभी किस्सों कहानियों में मेरा जिक्र करना भूल गये तुम कि मैं लहरों से टकराया था खुद को भूलकर तुम्हें सलामत पहुंचाया था चंद टके हथेली पर रखकर अहसान ना करो जिंदगी का वो दौर तो कम-से-कम उधार रखना कभी किस्सों कहानियों में मेरा जिक्र करना तुम्हें मुबारक मंजिल मुझे यही रूक जाना है दूसरे मुसाफिर को फिर दरिया पार कराना है याद आए मेरी नाव के हिलौरें तो लौट आना मैं इंतजार कर रहा हूं किनारे पर ख़्याल रखना कभी किस्सों कहानियों में मेरा जिक्र करना ~लेख की कलम ©'लेख' ₹@J

 मंजिल पर पहुंचने वाले ऐ मुसाफिरों
जरा सा ख्याल इस मल्लाह का रखना 
मालूम है सफर खत्म हो गया है तुम्हारा 
कभी किस्सों कहानियों में मेरा जिक्र करना

तुम्हें किनारा क्या मिला तेवर ही बदल गये 
समंदर में साथी बने अब इरादे बदल लिए
 जाते-जाते कह रहे हो ये तो मात्र सपना था
 ऐ फरेबी मुसाफिरों जरा सा रहम तो करना 
कभी किस्सों कहानियों में मेरा जिक्र करना

भूल गये तुम कि मैं लहरों से टकराया था 
खुद को भूलकर तुम्हें सलामत पहुंचाया था
 चंद टके हथेली पर रखकर अहसान ना करो 
जिंदगी का वो दौर तो कम-से-कम उधार रखना 

कभी किस्सों कहानियों में मेरा जिक्र करना
तुम्हें मुबारक मंजिल मुझे यही रूक जाना है 
दूसरे मुसाफिर को फिर दरिया पार कराना है 
याद आए मेरी नाव के हिलौरें तो लौट आना
 मैं इंतजार कर रहा हूं किनारे पर ख़्याल रखना 
कभी किस्सों कहानियों में मेरा जिक्र करना

~लेख की कलम

©'लेख' ₹@J

मंजिल पर पहुंचने वाले ऐ मुसाफिरों जरा सा ख्याल इस मल्लाह का रखना मालूम है सफर खत्म हो गया है तुम्हारा कभी किस्सों कहानियों में मेरा जिक्र करना तुम्हें किनारा क्या मिला तेवर ही बदल गये समंदर में साथी बने अब इरादे बदल लिए जाते-जाते कह रहे हो ये तो मात्र सपना था ऐ फरेबी मुसाफिरों जरा सा रहम तो करना कभी किस्सों कहानियों में मेरा जिक्र करना भूल गये तुम कि मैं लहरों से टकराया था खुद को भूलकर तुम्हें सलामत पहुंचाया था चंद टके हथेली पर रखकर अहसान ना करो जिंदगी का वो दौर तो कम-से-कम उधार रखना कभी किस्सों कहानियों में मेरा जिक्र करना तुम्हें मुबारक मंजिल मुझे यही रूक जाना है दूसरे मुसाफिर को फिर दरिया पार कराना है याद आए मेरी नाव के हिलौरें तो लौट आना मैं इंतजार कर रहा हूं किनारे पर ख़्याल रखना कभी किस्सों कहानियों में मेरा जिक्र करना ~लेख की कलम ©'लेख' ₹@J

15 Love

White दस्तूर निभाता है वो मेरा हमदर्द होने का मुझे मालूम है वो मेरे दर्द से वाकिफ नहीं ©'लेख' ₹@J

 White दस्तूर निभाता है वो मेरा हमदर्द होने का
मुझे मालूम है वो मेरे दर्द से वाकिफ नहीं

©'लेख' ₹@J

White दस्तूर निभाता है वो मेरा हमदर्द होने का मुझे मालूम है वो मेरे दर्द से वाकिफ नहीं ©'लेख' ₹@J

14 Love

White मैं जीना चाहता हूं जिंदगी उसके साथ और वो मेरी जिंदगी से जा रहा है मैं जोड़ रहा हूं उम्मीद उससे और वो हर दिन अलग तरीके मुझे तोड़ रहा है उसे लगता है कि खेल है ये जिंदगी कुछ वक्त का जो खेल कर ऊब गये शायद भूल गया ये इश्क है एक दौर से मेरी रगो में लहूं बन कर दौड़ रहा है ©'लेख' ₹@J

#love_shayari #Quotes  White मैं जीना चाहता हूं जिंदगी उसके साथ और वो मेरी जिंदगी से जा रहा है 
मैं जोड़ रहा हूं उम्मीद उससे और वो हर दिन अलग तरीके मुझे तोड़ रहा है 
उसे लगता है कि खेल है ये जिंदगी कुछ वक्त का जो खेल कर ऊब गये
शायद भूल गया ये इश्क है एक दौर से मेरी रगो में लहूं बन कर दौड़ रहा है

©'लेख' ₹@J

#love_shayari

16 Love

तुम हमें भूल भी जाओ तो मलाल नहीं हम ताउम्र तुम्हें चाहते रहेंगे ये वादा रहा ©'लेख' ₹@J

 तुम हमें भूल भी जाओ तो मलाल नहीं 
हम ताउम्र तुम्हें चाहते रहेंगे ये वादा रहा

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तुम हमें भूल भी जाओ तो मलाल नहीं हम ताउम्र तुम्हें चाहते रहेंगे ये वादा रहा ©'लेख' ₹@J

17 Love

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