अभी तक लौटा नहीं वो चाँद अभी तक रात होनी बाकि है,
सास तो चल रही है मगर धड़कने थम सी गयी है।
कुछ याद नहीं है अब तेरे बिना सब कुछ भुला दिया मैने तेरे बिना।
जाकर रोलु एक कोने में ये खिड़की ये दरवाजे ये घर अब क्यू हँसता नहीं है।
खो दिया आईने ने अपना एक यार, जो हँसता था रोता था सवारे जो देख तुझे आने बाल।
आए वो शाम जब तुझे जरूरत हो मेरी,आना कब्र पर मेरी तुम,
हर दफा देखना चाहता हूँ मैं तुझको देखे बिन तुझे ये आँखे भीगी सी रहती है ।
बादल सँवरता है,लगाकर आँसू अपने चहरे पर और होती है बारिशें भीग जाती है ये जमीं आसमान भी तो बहुत रोता है।
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