I write my poems like I sculpt… with bits and pieces…
चलो आज फिर हम गूम हो जाते है, मै मै ना रहु, हम तुम हो जाते है!! अब अरसा बीत गया है , उन बातो को छेड़े हुए, चलो आज फिर उसी पुरानी दुनिया में खो जाते है!! मै मै ना रहु, हम तुम हो जाते है!! वो अम्बिया का पेड़, वो बगीचे की ठंडी घास,
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चुपके से हवा चली ये कौन आया, बाजार में खबर है उडी ये कौन आया!! यूँ सदिया पहले छोड़ आए थे उस निसान को दरख़्त तले, आज उन जख्मो को टटोलने ये कौन आया!!
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