Amit Sharma

Amit Sharma Lives in Ahmedabad, Gujarat, India

I write my poems like I sculpt… with bits and pieces…

http://meetpandit.blogspot.in

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 One of the best!!!

One of the best!!!

1 Love

चलो आज फिर हम गूम हो जाते है, मै मै ना रहु, हम तुम हो जाते है!! अब अरसा बीत गया है , उन बातो को छेड़े हुए, चलो आज फिर उसी पुरानी दुनिया में खो जाते है!! मै मै ना रहु, हम तुम हो जाते है!! वो अम्बिया का पेड़, वो बगीचे की ठंडी घास,

चलो आज फिर हम गूम हो जाते है, मै मै ना रहु, हम तुम हो जाते है!! अब अरसा बीत गया है , उन बातो को छेड़े हुए, चलो आज फिर उसी पुरानी दुनिया में खो जाते है!! मै मै ना रहु, हम तुम हो जाते है!! वो अम्बिया का पेड़, वो बगीचे की ठंडी घास,

4 Love

ख्याल... ख्याब...नींद...चैन..सुकून...... ये बातें है ना, कुछ सुनी सुनाई लगती है!!!! मिलता था रोज इनसे , अकेले में... यूँ लिपट के मेरे साथ रहा करते थे!! नजर लगी है ज़माने की या फिर मैंने मकान नया ढूंढ लिया है इन्होने!!!

3 Love

चुपके से हवा चली ये कौन आया, बाजार में खबर है उडी ये कौन आया!! यूँ सदिया पहले छोड़ आए थे उस निसान को दरख़्त तले, आज उन जख्मो को टटोलने ये कौन आया!!

चुपके से हवा चली ये कौन आया, बाजार में खबर है उडी ये कौन आया!! यूँ सदिया पहले छोड़ आए थे उस निसान को दरख़्त तले, आज उन जख्मो को टटोलने ये कौन आया!!

3 Love

सुलगते हुई हालत है मेरे, अब इन्हें यूँ... हवा तो ना दो! थोड़ा अदब से, थोड़ा सलिखे से...तुम पढ़े लिखे नजर आते हो! चलो माना तुम्हे कुछ याद नहीं, ना हम याद ना हमारी वो नुक्कड़ की चाय पर हुई मुलाकाते याद... चलो माना तुम्हे वो पिछली बारिशो में एक साथ भीगे थे वो भी याद नहीं, ना वो सर्दियों में एक साथ लिपटे थे वो भी याद नहीं.. अभी कल ही तो देखा था तुम्हे , वो गली के मोड़ से जाते हुई, हाथ दिखाया था तुमने "Hiiiiiii" कहके, क्या बताऊ क्या क्या हुआ था.. मै वही था, पर दिमाग ना जाने क्यों कहाँ कहाँ दौड़ गया था!

2 Love

मैंने मेरी माँ को बूढ़ा होते हुए देखा है!

 मैंने मेरी माँ को बूढ़ा होते हुए देखा है!

मैंने मेरी माँ को बूढ़ा होते हुए देखा है! रात को कोने में अकेले बैठ के रोते हुए देखा है! सादिया बिता दी उसने, उम्र का कतरा कतरा बहा दिया, मैंने उस माँ के काले बालो को सफ़ेद होते हुए देखा है!!

2 Love

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