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मैं एक खुली किताब हूं पढ़ोगे तब ही समझोगे
सुना था, तेरे शहर में वफ़ा मिलती हैं। दिल टुटने की, दवा मिलती है।। बस ,यही सोचकर आये थे तेरे शहर। मगर यहा तो,दिल लगाने पर भी सज़ा मिलती हैं।। ©Vaidya
Vaidya
20 Love
बेवफा की बेवफ़ाई से, कहीं दर्द बदनाम तो नहीं होगा।। हां दवा दे दो मुझे बस इतना बता दो। दवा लेने से कही आराम तो नहीं होगा।। ©Vaidya
16 Love
हमी को, दरिया पे जाने से रोकने वाले हमी से, पानी का हिसाब मांगते हैं।। वो खुद ही करते हैं, गुनाह पे गुनाह और हमी को हर गुनाह का, गुनाहगार मानते हैं।। ©Vaidya
18 Love
हम तुझे देख ही नहीं पाये। इतनी नजरें थी तेरे चहरे पे।। तेरी सादगी,तेरी मुस्कुराहट, तेरी अदाये कुछ भी नहीं दिखा। इतनी पाबंदियां थी,तेरे पहरो पे।। ©Vaidya
29 Love
Alone उसकी याद आयी,तो जख्म पुराने निकले। जिसकी चाहत को भुलाने में, जमाने निकले।। वो कहती हैं कि मैं करती हूं लोगों का इलाज। उसके शहर में देखा, बहुत से मरीज़ तो उसी के दिवाने निकले।। ©Vaidya
30 Love
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