मजरा चाँद को देखो ,जैसे आसमान का नूर हो, जैसे दुनियाँ का ताज हो, जैसे धरती का कोहनूर हो, जरा चाँद को देखो।, आसमान में इस तरह छा रहा है जैसे कोई सारी दुनियाँ को अपना बना रहा हो, जैसे धरती का राजा हो। इसे छूने का मन करता है, इसे पाने का मन
करता है, जैसे इसे उठा लूँ मैं, बादल को इस तरह छू रहा है, जैसे सरमा रहा हो। इस चाँद के क्या नखरे है, कभी दिखता तो कभी छूप जाता है, क्या चाँद है।Rekha.....
©Priyanshi Salvi
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