विचार जब लुप्त हो जाता हैं
या दुसरे के सामने विचार प्रकट करने में वाधा उत्पन्न होती है!
या किसी के विरोध से भय लगने लगता है!
तब तर्क स्थान हुल्लड़ या
गुण्डागिर्दी ले लेती हैं!
✍••• राज बैरवा (टोकसी)
विचार जब लुप्त हो जाता हैं
या दुसरे के सामने विचार प्रकट करने में वाधा उत्पन्न होती है!
या किसी के विरोध से भय लगने लगता है!
तब तर्क स्थान हुल्लड़ या
गुण्डागिर्दी ले लेती हैं!
✍••• राज बैरवा (टोकसी)
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