Kamlesh

Kamlesh

कमाल का जिगर रखते है कुछ लोग, दर्द लिखते हैं और आह तक नहीं करते। फिर कोई सवाल सुलगता रहा रात भर, फिर कोई जवाब सिसकता ही रह गया। ज़माना तो बड़े शौक से सुन रहा था, हम ही रो पड़े दास्ताँ कहते कहते। न मिलने की कसम खा के भी मैंने, हर राह में बस तुझको ही ढूंढ़ा है।

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