तेरा साया भी मुझ पर छोड़ मत जाना,
भूल के भी जान-ए-मन लौट कर मत आना ।
तेरी यादों से खुद को आराम दे रहा हूं,
खुद ही को बेवफ़ा नाम दे रहा हूं ।
ले आना नमक रगड़ने को तुम भी
मैं खुद को ज़ख्म तमाम दे रहा हूं ।
मोहब्बत को लिखता रहा तेरे होने तक,
गज़ल
दिलजलो की ये मोहब्बत देखता मैं रह गया
इश्क़ वालों की इबादत देखता मैं रह गया ।
बेरहम सा ये ज़माना समझे लावारिस मुझे
इस ज़माने की हिमाक़त देखता मैं रह गया ।
मेरे दर्द की गवाही क्यों बार बार लेते हो Caption Alert ❤
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ये किस्से कहानी क्यों हर बार कहते हो,
मेरे दर्द की गवाही क्यों बार बार लेते हो.
क्या मज़ा आता हैं मेरे ज़ख़्मो को खुरदने में,
क्यों बीते दिनो की सदाये बार बार देते हो.
मोहब्बत से नफ़रत,
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