Liyakt Khan

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हर किसी को नहीं मिलता , जमाने में सुकूने -दिल भले धन दौलत मिल जाए , हो जाए वफा हासिल ! हुनर मंद लोग दुनिया में, ठोकरें खातें हैं अक्सर अकड़ मन में लिए फिरते , नहीं हम सा कोई क़ाबिल ! वो बर्बादी किसी की देख , कैसे झूम जातें हैं मुझे तो देख कर तकलीफ , किसी का दुखता है दिल ! (जौहर डुमराँवीं) ©Liyakt Khan

 हर किसी को नहीं मिलता , जमाने में सुकूने -दिल
    भले धन दौलत मिल जाए ,  हो जाए वफा हासिल  ! 

हुनर  मंद लोग  दुनिया में,  ठोकरें खातें हैं अक्सर
     अकड़ मन में लिए फिरते , नहीं हम सा कोई क़ाबिल  ! 

वो बर्बादी किसी की देख  ,  कैसे   झूम   जातें   हैं
   मुझे तो देख कर तकलीफ , किसी का दुखता है दिल  ! 

(जौहर डुमराँवीं)

©Liyakt Khan

हर किसी को नहीं मिलता , जमाने में सुकूने -दिल भले धन दौलत मिल जाए , हो जाए वफा हासिल ! हुनर मंद लोग दुनिया में, ठोकरें खातें हैं अक्सर अकड़ मन में लिए फिरते , नहीं हम सा कोई क़ाबिल ! वो बर्बादी किसी की देख , कैसे झूम जातें हैं मुझे तो देख कर तकलीफ , किसी का दुखता है दिल ! (जौहर डुमराँवीं) ©Liyakt Khan

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 हर रोज भयानक हादसा कर जाते हैं
करने वाले! 
(जौहर डुमराँवीं)

हर रोज भयानक हादसा कर जाते हैं करने वाले!

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पंख हैं पास तो हम क्यों बैठे, ऊड़ते रहेगें आसमान में खुशियाँ बाटें हम औरों को, आओ (जौहर) इस जहान में! (जौहर डुमराँवीं) ©Liyakt Khan

 पंख हैं पास तो हम क्यों बैठे, ऊड़ते रहेगें आसमान में

खुशियाँ बाटें हम औरों को, आओ (जौहर) इस जहान में! 



(जौहर डुमराँवीं)

©Liyakt Khan

पंख हैं पास तो हम क्यों बैठे, ऊड़ते रहेगें आसमान में खुशियाँ बाटें हम औरों को, आओ (जौहर) इस जहान में! (जौहर डुमराँवीं) ©Liyakt Khan

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संवार मुझे ऐ खुदा ज़िन्दगी जो दे मेरी संवार मुझे यूहीं मिलती रहे माँ की दुआ दुलार मुझे हर बुराई से बचाए जो वो तासीर मिले रहूँ रौशन मैं जमाने में वो जागीर मिले बदल कर रख दूं जमाने को तक्दिर मिले मिटा दूँ इल्म से बुराई वो शमसीर मिले नेमतें - नेकी से रग -रग को मेरे भर देना हाँ जुदा जहाँ की बुराई से मुझे कर देना जर्रे- जर्रे से हो उल्फत वो सलिका दे मुझे ज़मीने- फर्स पे जीने का तरीका दे मुझे न बुरा दिन मुझे कभी दिखाना या रब मेरे न मुहताज मझे कभी बनाना या रब मेरे हां मिलती रहे जहाँ की खुशी बहार मुझे यूहीं मिलती रहे माँ की दुआ दुलार मुझे (जौहर डुमराँवीं) ©Liyakt Khan

#MeriEid  संवार मुझे

ऐ खुदा ज़िन्दगी जो दे मेरी संवार मुझे 

 यूहीं मिलती रहे माँ की दुआ दुलार मुझे

हर बुराई से बचाए जो वो तासीर मिले

 रहूँ रौशन मैं जमाने में वो जागीर मिले

बदल कर रख दूं जमाने को  तक्दिर मिले

मिटा दूँ इल्म से बुराई वो शमसीर मिले

नेमतें - नेकी से रग -रग को मेरे भर देना

हाँ जुदा जहाँ की बुराई से मुझे  कर देना

जर्रे- जर्रे से हो उल्फत वो सलिका दे मुझे

ज़मीने- फर्स पे जीने का तरीका दे मुझे

न बुरा दिन  मुझे  कभी दिखाना या रब मेरे

न मुहताज मझे कभी  बनाना या  रब मेरे

 हां मिलती रहे जहाँ की खुशी  बहार मुझे

 यूहीं मिलती रहे माँ की दुआ दुलार मुझे

(जौहर डुमराँवीं)

©Liyakt Khan

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