तुमने मेरी जिंदगी को तार-तार बना डाला,
फिर से मुझे अखबार बना डाला,
पूजा की मुझे माँ दुर्गा बनाकर
बाद में अपना ही शिकार बना डाला...
जिसको जैसी मिली वैसा इस्तेमाल किया,
कभी अबला तो कभी हथियार बना डाला...
मेरे मरने के बाद शायद मेरी खबर आएगी,
फिर से मेरे लिए एक बार आवाज़ उठाई जाएगी
अपराधी अंदर होंगें कुछ दिनों के लिए फिर वो बाहर आ जाएँगे,
जब तक केस चलेगा तब तक किसी और को अपना शिकार बनाएँगे,
लोगों का क्या हैं वो तो कुछ दिनों में भूल जाएँगे,
और मीडिया का क्या वो तो शायद खबर भी नहीं दिखाएँगे......
जब तक सजा मिलेगी इन आपराधियों को तब तक बहोत देर हो जाएगी,
और इस लाचार व्यवस्था के आगे एक और निर्भया शिकार बन जाएगी!!!!!
हमें कड़ी निंदा नहीं चाहिए, बेटियाँ जिंदा चाहिए
🙏🙏🙏
©Sona verma
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