"माँ"...
बखान क्या करूँ तेरा,
मेरी इतनी औकात नहीं...
फिर भी तिनका-तिनका जोड़ना चाहता हूँ,
तेरे लिए ("पाल") कुछ शब्द कहना चाहता हूँ...
तुझमे तो ब्रह्माण्ड समाया है,
तेरा कोई पार न पाया है...
तेरे आँचल में बचपन की सैर है,
तेरी गोद में सुकून पाया है...
तू जिस आंगन में हो, स्वर्ग वहीं बसाया है,
यूं ही नहीं तीनो लोको का स्वामी,
बार-बार धरती पे जन्म लेने आया है...
तेरे प्यार में तो मेरा प्रभु भी रमाया है,
"माँ" तुझमे तो ब्रह्माण्ड समाया है...
©Er. Pooja Pal
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