दो शख़्स..
मुझे बेहद पसंद हैं
इक शायर की प्रेमिका
दूजा गायिका का प्रेमी
सोचता हूँ मिल के जिक्र करूँ इनके हिज़्र की और पूछूँ कि
क्या अब भी पढ़ती हो तुम उस शायर कीग़ज़लें
जीती हो उसके लफ्ज़ मानी दर मानी
क्या अब भी गुनगुनाते हो उस गायिका के गाये हुए गाने
और चढ़ते जाते हो उसके सुरों के आसमानों पर
गर मैं ब्रह्मा होता तो...
जीवन के किसी मोड़ पर मिला देता इन दोनों शख़्स को
पर नियति में मेरा अश्वस्थामा होना लिखा है
इसलिए भी पसन्द है मुझे ये दो शख़्स
क्यूंकि पूरक लगते हैं मुझे एक दूसरे के ..
ये दो शख़्स...
एक शाइर की प्रेमिका
दूजा गायिका का प्रेमी
तेरे होठों के ऊपर तिल बहुत ही खूब है लेकिन
मुझे अपने होठों की निशानी तेरे पेशानी पे देनी है
पेशानी- forehead
2 Love
एक दीप तेरे नाम का एक दिया जो भेद मिटाये
क्या तेरा क्या मेरा है,
एक दिया जो याद दिलाये
हर रात के बाद सवेरा है
एक दिया विश्वास दे उनको, जिनकी हिम्मत टूट गयी
एक दिया उस राह में भी हो, जो कल पीछे छूट गयी
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