#OpenPoetry लिखने से पहले मैं पढ़ने लगा हूँ
कहने से पहले सुनने लगा
हूँ
ये तुझे खोने का ही असर
है
किसी को अपना बनाने से पहले
खुद ही को खुद मे ढूढने लगा हूँ
नाराज़ नाराज हैं जिन्दगी मान लिया मैंने ,बुरे दौर का एहसान लिया मैंने
रूख मोड़ सका ना गमों का
तो मुसीबतों से उलझना सीख लिया
दरिया से भागना छोड़ उल्टी धारा मे तैरना सीख लिया।।
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